जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली– भारत ने हाल ही में सामने आई उन खबरों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है जिनमें दावा किया गया है कि कुछ भारतीय नागरिकों को धोखे से रूसी सेना में भर्ती कर युद्ध क्षेत्र में भेजा गया। विदेश मंत्रालय (MEA) ने इसे बेहद चिंताजनक बताते हुए रूसी अधिकारियों के साथ औपचारिक बातचीत की है और भारतीयों की तत्काल रिहाई की मांग की है।
विदेश मंत्रालय का बयान
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने गुरुवार को मीडिया को संबोधित करते हुए कहा,
“हमें हाल ही में भारतीय नागरिकों को रूसी सेना में भर्ती किए जाने की खबरें मिली हैं। इस मुद्दे को हमने दिल्ली और मॉस्को में रूसी अधिकारियों के साथ उठाया है और इस प्रथा को तुरंत समाप्त करने की मांग की है।”
उन्होंने कहा कि भारत सरकार लगातार अपने नागरिकों को आगाह कर रही है कि किसी भी हाल में ऐसे जोखिम भरे प्रस्तावों से दूर रहें।
भारतीयों को धोखे से भेजा गया युद्ध क्षेत्र
हालिया रिपोर्टों के अनुसार, दो भारतीय पुरुषों ने आरोप लगाया है कि उन्हें निर्माण कार्य का झांसा देकर रूस लाया गया, लेकिन बाद में उन्हें पूर्वी यूक्रेन के डोनेट्स्क क्षेत्र में युद्ध मोर्चे पर तैनात कर दिया गया।
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ये दोनों भारतीय नवंबर 2024 में रूस गए थे।
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वे स्टूडेंट या विज़िटर वीज़ा पर गए थे।
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एक एजेंट ने उन्हें नौकरी का वादा किया था लेकिन धोखा देकर युद्ध क्षेत्र में भेज दिया।
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उन्होंने दावा किया कि कम से कम 13 अन्य भारतीय भी इसी तरह की स्थिति में फंसे हैं।
परिवारों के संपर्क में सरकार
MEA ने बताया कि प्रभावित भारतीयों के परिवारों से संपर्क बनाए रखा जा रहा है और जल्द से जल्द उन्हें सुरक्षित वापस लाने की कोशिश की जा रही है।
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सरकार की चेतावनी
प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने भारतीय युवाओं से अपील की कि वे रूसी सेना या किसी भी विदेशी सेना में भर्ती होने के प्रलोभन से बचें। उन्होंने इसे “खतरों से भरा कदम” बताते हुए चेतावनी दी कि ऐसे मामलों में जीवन और सुरक्षा पर गंभीर जोखिम हो सकता है।