जुबिली न्यूज डेस्क
विदेश मंत्री एस. जयशंकर इन दिनों रूस दौरे पर हैं और इस दौरान उन्होंने भारत-रूस व्यापार असंतुलन पर गहरी चिंता जाहिर की है। जयशंकर ने कहा कि भारत का रूस के साथ व्यापार घाटा अब 58.9 अरब डॉलर तक पहुंच गया है, जो कि पहले के मुकाबले लगभग नौ गुना अधिक है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत और रूस के बीच व्यापार 2021 में 13 अरब डॉलर था, जो कि अब 2024-25 में बढ़कर 68 अरब डॉलर हो गया है। हालांकि व्यापार का यह तेज़ विस्तार असंतुलन के साथ आया है। जयशंकर ने साफ कहा,”ट्रेड को संतुलित करना जरूरी है, वरना यह साझेदारी के लिए नुकसानदेह होगा।”
उन्होंने टैरिफ और नॉन-टैरिफ बाधाओं को हटाने पर ज़ोर दिया और कहा कि इससे आयात-निर्यात की प्रक्रिया तेज़ होगी, लागत घटेगी और व्यापारियों का समय बचेगा। दोनों देशों ने 2030 तक 100 अरब डॉलर ट्रेड टारगेट तय किया है।
रूस की प्रतिक्रिया
रूसी पक्ष की ओर से लॉजिस्टिक, बैंकिंग और फाइनेंशियल सिस्टम को मज़बूत करने की बात कही गई है। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ 21 अगस्त को जयशंकर की अहम मुलाकात होनी है, जिसमें इन मुद्दों पर गहन चर्चा होगी।
अमेरिका की दोहरी नीति पर सवाल
रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि अमेरिका ने भारत पर टैरिफ 25% से बढ़ाकर 50% कर दिया, जबकि चीन को राहत दी गई। ट्रंप प्रशासन को भारत के रूस से तेल खरीदने पर आपत्ति रही है, जबकि अमेरिका और चीन खुद भी रूस से तेल ले रहे हैं। इसके बावजूद भारत ने अपने रणनीतिक साझेदार रूस से संबंध नहीं तोड़े।
भारत और रूस के बीच व्यापार नई ऊंचाइयों को छू रहा है, लेकिन असंतुलन और अमेरिका की भेदभावपूर्ण नीति दोनों देशों के लिए चिंता का विषय हैं। जयशंकर की यह पहल इस दिशा में एक कूटनीतिक प्रयास है कि व्यापार को टिकाऊ, पारस्परिक और रणनीतिक बनाया जा सके।