Tuesday - 8 July 2025 - 5:30 PM

“राजनीति में मजा नहीं आ रहा”: सांसद बनीं कंगना रनौत ने जानें ऐसा क्यों कहा

जुबिली न्यूज डेस्क 


बॉलीवुड की ‘क्वीन’ और अब भाजपा की सांसद बनीं कंगना रनौत ने अपने नए राजनीतिक करियर को लेकर बेहद बेबाक इंटरव्यू दिया है। ऑल इंडिया रेडियो के ‘आत्मनिर्भर रवि पॉडकास्ट’ में कंगना ने खुलकर कहा कि उन्हें अभी तक राजनीति से कोई खुशी नहीं मिली है और यह उनके लिए एक कठिन और अनजान जिम्मेदारी जैसी है।

“राजनीति ने मुझे खुशी नहीं दी” – कंगना रनौत

कंगना ने कहा,”मुझे इसकी आदत पड़ रही है। मैं ये नहीं कहूंगी कि मुझे राजनीति में मजा आ रहा है। यह समाज सेवा जैसा है। यह मेरा बैकग्राउंड नहीं रहा है। मैंने कभी लोगों की सेवा करने के बारे में नहीं सोचा था।”

कंगना के इस बयान ने साफ कर दिया कि एक सफल एक्ट्रेस होने के बावजूद एक सांसद की ज़िम्मेदारी निभाना उनके लिए नई और चुनौतीपूर्ण भूमिका है।

‘लोग नाली और सड़क की शिकायतें लेकर आ जाते हैं’

अपने अनुभव साझा करते हुए कंगना ने बताया कि लोग उनसे पंचायती स्तर की समस्याएं, जैसे टूटी नालियां और सड़कें लेकर आ जाते हैं।”लोग मुझसे कहते हैं– आपकी सरकार है, आप पैसा लगाइए। मैं कहती हूं कि यह राज्य सरकार का काम है, पर उन्हें फर्क नहीं पड़ता।”

कंगना ने यह भी कहा कि एक सांसद होने के बावजूद लोग उनसे हर छोटी-बड़ी लोकल समस्या का समाधान चाहते हैं, और वह अभी इस मानसिकता से सामंजस्य बैठा रही हैं।

“मैं प्रधानमंत्री बनने योग्य नहीं”

जब कंगना से पूछा गया कि क्या वह भविष्य में भारत की प्रधानमंत्री बनना चाहेंगी, तो उन्होंने बिना लाग-लपेट के कहा:”मुझे नहीं लगता कि मैं भारत की प्रधानमंत्री बनने के योग्य हूं। ना ही मेरे पास वो जुनून है।”

उन्होंने यह भी जोड़ा:”मैंने एक बहुत स्वार्थी जीवन जिया है – बड़ा घर, बड़ी कार, हीरे की जूलरी, अच्छी दिखने की चाह… समाज सेवा मेरा बैकग्राउंड नहीं है।”

वर्क फ्रंट: फिल्मों से अब भी जुड़ी हैं कंगना

राजनीति में आने के बावजूद कंगना का फिल्मी सफर जारी है।

  • उनकी हालिया रिलीज ‘इमरजेंसी’ थी, जिसमें उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का किरदार निभाया और निर्देशन भी किया।

  • उनकी अपकमिंग फिल्मों में ‘तनु वेड्स मनु 3’ और ‘इमली’ जैसे प्रोजेक्ट्स शामिल हैं।

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कंगना रनौत का यह ईमानदार और खुला इंटरव्यू यह दर्शाता है कि फिल्मी दुनिया की चमक-दमक से इतर राजनीति की ज़मीन कितनी कठिन है। उनका यह स्वीकार करना कि वह इस भूमिका से पूरी तरह सहज नहीं हैं, यह दिखाता है कि राजनीति में आकर भी उन्होंने अपनी बेबाकी और सच्चाई नहीं छोड़ी है

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