जुबिली स्पेशल डेस्क
मिडिल ईस्ट में इज़राइल और हमास के बीच जारी संघर्ष की सबसे बड़ी कीमत ग़ज़ा चुका रहा है। हालात ऐसे हैं कि यहां लोग एक-एक रोटी के लिए तरस रहे हैं। पेट की आग बुझाने के लिए लोग अब तोड़फोड़ तक करने को मजबूर हैं।
संयुक्त राष्ट्र की मानवीय सहायता एजेंसी (UNOCHA) ने ग़ज़ा को लेकर गंभीर चेतावनी दी है। एजेंसी के प्रवक्ता जेन्स लाएर्के ने शुक्रवार (30 मई 2025) को कहा कि ग़ज़ा अब धरती का वह एकमात्र स्थान है जहां 100% आबादी अकाल के खतरे में है। उनका कहना है कि यहां हर एक व्यक्ति भूख का सामना कर रहा है।
भूख में मची भगदड़, इज़रायली फायरिंग से घायल हुए दर्जनों लोग
अल जज़ीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, ग़ज़ा में खाने के लिए मचे हाहाकार के बीच एक फूड सेंटर पर भारी भीड़ उमड़ पड़ी। इस दौरान इज़रायली सैनिकों की ओर से हवा में की गई फायरिंग के बाद भगदड़ मच गई, जिससे अफरा-तफरी फैल गई। बताया जा रहा है कि इस दौरान तोड़फोड़ भी हुई और करीब 50 लोगों को गोली लगी।

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स्थानीय डॉक्टरों के अनुसार, हालिया हमलों में कम से कम 44 लोगों की मौत हो गई है, जबकि दो लोगों की कथित तौर पर गोली मारकर हत्या की गई।
रफ़ा में खोला गया फूड सेंटर भी हिंसा की चपेट में
रफ़ा में अमेरिका और इज़रायल के समर्थन से एक फूड सेंटर शुरू किया गया था, लेकिन वहां भी हालात बेकाबू हो गए। हजारों भूखे लोग खाने की तलाश में पहुंचे, और हालात बिगड़ते ही इज़रायली सेना ने चेतावनी के तौर पर फायरिंग की।
UN अधिकारी ने चेताया : “यह मॉडल संकट को और गहरा कर रहा है
ग़ज़ा में UN मानवीय कार्यालय के प्रमुख जोनाथन व्हिटल ने कहा कि मौजूदा सहायता मॉडल इस क्षेत्र में अकाल को रोकने के बजाय उसे और बढ़ा रहा है। उन्होंने बताया कि यह मॉडल ग़ज़ा में रह रहे 2.1 मिलियन लोगों की बुनियादी जरूरतें भी पूरी नहीं कर पा रहा है। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, इज़रायल ने 2 मार्च को ग़ज़ा पर पूर्ण नाकाबंदी कर दी थी और दो हफ्ते बाद सैन्य अभियान फिर से शुरू कर दिया गया था।