जुबिली स्पेशल डेस्क
दिल्ली दंगों की साजिश रचने के आरोप में जेल में बंद उमर खालिद और शरजील इमाम की जमानत याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।
इस दौरान अदालत ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि जमानत मामलों में बार-बार समय मांगना उचित नहीं है। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस तरह के मामलों में जवाब दाखिल करने की जरूरत नहीं होनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाली
जस्टिस अरविंद कुमार और एनवी अंजारिया की पीठ ने इस मामले की अगली सुनवाई 31 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी।
खालिद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा। वहीं, केंद्र की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू ने दो हफ्ते का समय मांगा ताकि दिल्ली पुलिस की ओर से जवाब दाखिल किया जा सके। इस पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा,“सच कहें तो, जमानत के मामलों में जवाब दाखिल करने का सवाल ही नहीं उठता।”
हाईकोर्ट ने पहले की थी जमानत खारिज
इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी थीं। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि नागरिकों को विरोध का अधिकार है, लेकिन विरोध की आड़ में “षड्यंत्रकारी हिंसा” स्वीकार्य नहीं हो सकती। अदालत ने टिप्पणी की थी कि अगर विरोध प्रदर्शनों के नाम पर हिंसा को छूट दी गई, तो यह संवैधानिक ढांचे और कानून-व्यवस्था को कमजोर करेगा।
इन आरोपियों की जमानत हुई थी खारिज
उमर खालिद और शरजील इमाम के अलावा जिनकी जमानत खारिज की गई थी, उनमें फातिमा, हैदर, मोहम्मद सलीम खान, शिफा-उर-रहमान, अतहर खान, अब्दुल खालिद सैफी और शादाब अहमद शामिल हैं। सभी पर 2020 के दिल्ली दंगों के UAPA मामले में साजिश रचने के आरोप हैं और ये सभी 2020 से जेल में बंद हैं।
सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई अहम
अब यह मामला 31 अक्टूबर को फिर से सुप्रीम कोर्ट में सुना जाएगा। माना जा रहा है कि उस दिन अदालत दिल्ली पुलिस और याचिकाकर्ताओं के पक्षों को सुनकर आगे की कार्रवाई तय कर सकती है।
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