Tuesday - 2 December 2025 - 1:04 PM

संचार साथी ऐप विवाद पर सरकार की सफाई, “पूरी तरह ऑप्शनल है, चाहें तो डिलीट करें”

जुबिली न्यूज डेस्क

नई दिल्ली: संचार साथी ऐप को मोबाइल कंपनियों द्वारा प्री-इंस्टॉल किए जाने को लेकर उठे विवाद के बीच केंद्र सरकार ने अपनी तरफ से बड़ा स्पष्टीकरण दिया है। विपक्ष की लगातार आलोचना के बाद केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने साफ किया है कि यह ऐप पूरी तरह वैकल्पिक (ऑप्शनल) है और उपभोक्ता इसे चाहें तो कभी भी हटाकर इस्तेमाल न करने का विकल्प चुन सकते हैं।

सिंधिया ने कहा—“विपक्ष गलत भ्रम फैला रहा है”

केंद्रीय मंत्री ने विपक्ष पर गलत जानकारी फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा—“विपक्ष संचार साथी ऐप को लेकर भ्रम फैला रहा है। यह ऐप पूरी तरह ऑप्शनल है। न यह बाध्यकारी है और न किसी पर थोपे जाने वाला। यूजर्स चाहें तो इसे इंस्टॉल रखें या डिलीट कर दें, यह उनकी इच्छा पर निर्भर है।”

सिंधिया ने यह भी स्पष्ट किया कि इस ऐप का उद्देश्य नागरिकों की सुरक्षा बढ़ाना है और यह किसी भी प्रकार की जासूसी या निगरानी से संबंधित नहीं है।

ऐप का उद्देश्य: सुरक्षा और सर्विस मॉनिटरिंग

मंत्री के अनुसार संचार साथी ऐप उपभोक्ताओं को निम्न सुविधाएं देने के लिए विकसित किया गया है:

  • कॉल ड्रॉप की जानकारी देना

  • नेटवर्क समस्याओं की शिकायत दर्ज कराना

  • टेलीकॉम सेवाओं की गुणवत्ता ट्रैक करना

  • स्पैम/फर्जी कॉल की रिपोर्टिंग

सरकार का दावा है कि यह ऐप उपभोक्ता अधिकारों को मजबूत करने के लिए बनाया गया है, निगरानी के लिए नहीं।

प्रियंका गांधी का आरोप—“यह जासूस ऐप है”

सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने गंभीर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था:

  • यह ऐप लोगों की प्राइवेसी पर हमला है

  • हर नागरिक का हक है कि वह बिना सरकार की निगरानी के अपने परिवार और दोस्तों से बात कर सके

  • फोन में किसी भी ऐप को जबरन इंस्टॉल करना गलत है

प्रियंका गांधी ने इसे एक तरह का “जासूस ऐप” बताते हुए कहा कि इस कदम से लोगों के निजी अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है।

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सरकार बनाम विपक्ष—प्राइवेसी पर नई बहस

संचार साथी ऐप को लेकर:

  • सरकार कह रही है कि यह सुरक्षा और सर्विस क्वालिटी के लिए है

  • विपक्ष इसे निगरानी और प्राइवेसी के हनन से जोड़ रहा है

हालांकि सिंधिया के स्पष्टीकरण के बाद सरकार ने साफ कर दिया है कि ऐप ना अनिवार्य है, ना फोन में स्थायी, बल्कि उपभोक्ता की इच्छा पर आधारित है।

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