जुबिली स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने चुनावी पारदर्शिता की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए 474 गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (RUPP) को सूची से हटा दिया है। ये वे दल हैं जिन्होंने पिछले छह सालों से कोई चुनाव नहीं लड़ा और न ही तय नियमों का पालन किया।
इससे पहले 9 अगस्त को 334 दलों को डी-लिस्ट किया गया था। यानी पिछले दो महीनों में कुल 808 दलों को बाहर किया जा चुका है। अब देशभर में गैर-मान्यता प्राप्त दलों की संख्या 2,520 से घटकर 2,046 रह गई है। इसके अलावा, वर्तमान में 6 राष्ट्रीय दल और 67 राज्य स्तरीय मान्यता प्राप्त दल सक्रिय हैं।
बिहार चुनाव से पहले बड़ा असर
यह कार्रवाई ऐसे समय पर हुई है जब नवंबर में बिहार विधानसभा चुनाव होने हैं। हटाए गए दलों में 14 दल बिहार के भी शामिल हैं। इन दलों को अब चुनाव में उम्मीदवार उतारने का अधिकार नहीं होगा।
अधिकारियों ने बताया कि कई दल न तो चुनाव लड़ रहे थे और न ही अपने सालाना खाते और खर्चों की रिपोर्ट जमा कर रहे थे। 2021-22 से 2023-24 तक, 359 दलों ने ऑडिटेड अकाउंट्स और चुनावी खर्च रिपोर्ट भी नहीं सौंपी।
पारदर्शिता और कानून का पालन ज़रूरी
चुनाव आयोग का कहना है कि निष्क्रिय और संदिग्ध दलों को हटाना लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए अनिवार्य है।
कई मामलों में दलों पर इनकम टैक्स और मनी लॉन्ड्रिंग कानूनों के उल्लंघन के आरोप भी लगे थे। आयोग ने स्पष्ट किया कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 29A के तहत पंजीकृत दलों को टैक्स छूट और अन्य सुविधाएं मिलती हैं, इसलिए सक्रिय न रहने वाले दलों को सूची से बाहर करना ही सही कदम है।
दोबारा पंजीकरण का विकल्प
चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि जिन दलों को सूची से हटाया गया है, वे चाहें तो भविष्य में दोबारा पंजीकरण करा सकते हैं।
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