जुबिली न्यूज डेस्क
मुंबई – देश के जाने-माने उद्योगपति अनिल अंबानी की कंपनियों पर एक बार फिर कानून का शिकंजा कसता दिख रहा है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने रिलायंस अनिल अंबानी ग्रुप की कंपनियों (RAAGA Companies) के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की बड़ी जांच शुरू की है। इस जांच के तहत देशभर में 48 से 50 लोकेशनों पर छापेमारी की जा रही है।
CBI की FIR के बाद ED की बड़ी कार्रवाई
ED की यह कार्रवाई CBI द्वारा दर्ज की गई दो FIR के आधार पर की जा रही है। जांच में सामने आया है कि RAAGA ग्रुप की कंपनियों ने बैंकों से लोन लेकर पैसों का दुरुपयोग किया और इन फंड्स को एक कंपनी से दूसरी कंपनी में घुमाकर सरकारी संस्थाओं, निवेशकों और आम लोगों को धोखा दिया।
ED के चौंकाने वाले खुलासे
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साल 2017 से 2019 के बीच RAAGA कंपनियों ने Yes Bank से 3000 करोड़ रुपये का लोन लिया था।
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इन पैसों को बाद में अन्य कंपनियों में ट्रांसफर कर घुमाया गया।
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जांच में यह भी सामने आया कि लोन मंजूर कराने के लिए Yes Bank अधिकारियों और प्रमोटर्स को रिश्वत दी गई।
लोन प्रक्रिया में गड़बड़ियां
ED की रिपोर्ट के अनुसार:
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बिना क्रेडिट एनालिसिस के भारी-भरकम लोन पास किए गए।
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कई मामलों में लोन एप्लिकेशन और डिसबर्समेंट एक ही दिन में किया गया।
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कुछ मामलों में पैसे लोन पास होने से पहले ही ट्रांसफर कर दिए गए।
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डायरेक्टर्स और एड्रेस कई कंपनियों में समान पाए गए।
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लोन से जुड़े दस्तावेजों को बैकडेट में तैयार किया गया, यानी तारीखें बदलकर कागज़ तैयार किए गए।
SEBI, NHB, NFRA और BOB ने दी अहम जानकारियां
इस पूरे केस में कई बड़ी संस्थाओं ने प्रवर्तन निदेशालय की जांच में सहयोग किया:
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SEBI ने RHFL (Reliance Home Finance Ltd) से जुड़े एक केस की जानकारी दी, जिसमें एक साल के अंदर कॉरपोरेट लोन 3742 करोड़ से 8670 करोड़ कर दिया गया।
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नेशनल हाउसिंग बैंक (NHB), नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (NFRA) और बैंक ऑफ बड़ौदा (BOB) ने भी महत्वपूर्ण डेटा और दस्तावेज़ ED को सौंपे।
अब आगे क्या?
ED की यह रेड मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत चल रही है और माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इस केस में अनिल अंबानी ग्रुप के वरिष्ठ अधिकारियों से पूछताछ की जा सकती है। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए ED ने कई डिजिटल डिवाइसेज और दस्तावेज़ जब्त किए हैं, जिनकी फोरेंसिक जांच की जाएगी।