जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली: लोकसभा में सोमवार को वंदे मातरम् की 150वीं सालगिरह के मौके पर 10 घंटे की विशेष चर्चा की शुरुआत हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रगीत के ऐतिहासिक महत्व पर जोर देते हुए कहा कि “वंदे मातरम् स्वतंत्रता आंदोलन का स्वर बन गया था… हर भारतीय का संकल्प बन गया था।”

पीएम मोदी ने 1905 में बंगाल विभाजन का उल्लेख करते हुए कहा कि अंग्रेजों की विभाजन नीति के सामने वंदे मातरम् “चट्टान की तरह खड़ा रहा और एकता की प्रेरणा देता रहा।”
लेकिन बीजेपी की ओर से हुई इस प्रस्तुति पर विपक्ष ने आपत्ति जताई है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव नाराज़ दिखे और उन्होंने सरकार पर राष्ट्रगीत का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया।
“वंदे मातरम् नकली राष्ट्रवादियों के लिए नहीं”
अखिलेश यादव ने कहा:“वंदे मातरम् नकली राष्ट्रवादियों के लिए नहीं है। इसका राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए।”उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी उन स्वतंत्रता सेनानियों को अपना बताने की कोशिश कर रही है “जिनका पार्टी से कोई लेना-देना नहीं था।”
अखिलेश ने आगे कहा कि:
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वंदे मातरम् ने आजादी की लड़ाई में देश को जोड़ा
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इसके प्रसार से अंग्रेज़ हिल गए थे
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लेकिन कुछ लोग आज उसी राष्ट्रगीत का इस्तेमाल विभाजन जैसे उद्देश्य से कर रहे हैं
उन्होंने कहा:“जिन लोगों ने आजादी की लड़ाई में हिस्सा ही नहीं लिया, वह वंदे मातरम् का महत्व क्या जानेंगे?”अखिलेश ने बीजेपी पर व्यंग्य करते हुए कहा कि कुछ लोग आजादी की लड़ाई में सरफरोशी दिखाने वालों की बजाय अंग्रेजों से “मुखबरी” कर रहे थे।
गोगोई बोले, ‘बीजेपी वंदे मातरम् का राजनीतिकरण कर रही’
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने भी प्रधानमंत्री पर हमला बोला। उन्होंने कहा:“बीजेपी वंदे मातरम् का राजनीतिकरण कर रही है। राष्ट्रगीत की सही भावना को बनाए रखना कांग्रेस की जिम्मेदारी रही है।”
चर्चा के दौरान उन्होंने:
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‘वोट चोरी’ के आरोप
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दिल्ली ब्लास्ट की घटना
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और रुपये की गिरती कीमत
जैसे मुद्दे उठाए। इस पर बीजेपी सांसदों ने विरोध जताया और जगदंबिका पाल, जो चर्चा की अध्यक्षता कर रहे थे, ने गोगोई को चर्चा के विषय पर ही बोलने की सलाह दी।
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गोगोई ने यह भी कहा:“बीजेपी बंगाल को नहीं समझती। उनके लिए सब कुछ बांग्लादेशी है। वो नहीं जानते कि बंकिम चटर्जी क्या लिखते थे, किस विचारधारा के थे।”
वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ: राजनीतिक टकराव तेज़
वंदे मातरम् पर केंद्रित इस विशेष चर्चा का उद्देश्य राष्ट्रगीत के इतिहास, सांस्कृतिक प्रभाव और स्वतंत्रता संग्राम में इसकी भूमिका पर प्रकाश डालना था, लेकिन बहस का माहौल राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप से गर्म हो गया।
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सरकार ने इसे राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक विरासत से जोड़कर प्रस्तुत किया
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विपक्ष ने इसे राजनीतिकरण की कोशिश बताया
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बीजेपी ने विपक्ष पर देशद्रोही मानसिकता का आरोप लगाया
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विपक्ष ने बीजेपी पर इतिहास को हथियाने का आरोप लगाया
10 घंटे की यह चर्चा संसदीय इतिहास के महत्वपूर्ण घटनाक्रमों में से एक मानी जा रही है।
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