ज़ुबिली स्पेशल डेस्क
कर्नाटक, जिसे कांग्रेस अपना सबसे मज़बूत राजनीतिक गढ़ मानती है, भीतरखाने उठ रहे विवादों से अब कमजोर पड़ता दिख रहा है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनके डिप्टी डी.के. शिवकुमार के बीच जारी सत्ता-साझेदारी का संघर्ष अब खुले तौर पर सामने आ चुका है और यह मामला राष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा रहा है।
कांग्रेस फिलहाल कर्नाटक के अलावा सिर्फ हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना में सत्ता में है। ऐसे में कर्नाटक में पैदा हुआ यह संकट पार्टी की छवि, स्थिरता और भविष्य—तीनों के लिए चुनौती बन गया है। दोनों नेताओं की लगातार बयानबाजी ने न सिर्फ पार्टी नेतृत्व को असहज किया है, बल्कि राज्य प्रशासन और कामकाज पर भी प्रतिकूल असर डाल दिया है।
बीजेपी ने अपनाई ‘वेट एंड वॉच’ रणनीति
उधर, भाजपा इस राजनीतिक घटनाक्रम को “कांग्रेस का अंदरूनी झगड़ा” बताकर दूरी बनाए हुए है। हालांकि, राजनीतिक गलियारों में यह भी माना जा रहा है कि यदि मौका मिले तो भाजपा, कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं से हाथ मिला सकती है।
इसी बीच, कर्नाटक से केंद्रीय मंत्री वी. सोमन्ना ने एक तीखा बयान देते हुए कहा कि भाजपा को डीके शिवकुमार की कोई आवश्यकता नहीं है। डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के अनुसार सोमन्ना ने चुनौती दी कि—
“अगर कांग्रेस में दम है, तो विधानसभा भंग करे और फिर जनता के बीच जाए।”
उन्होंने आगे राज्य की सड़कों और प्रशासनिक हालात को बेहद ख़राब बताते हुए कहा कि कांग्रेस सत्ता संघर्ष में उलझी है, जबकि जनता बुनियादी समस्याओं से जूझ रही है।
सिद्धारमैया–शिवकुमार विवाद किस दिशा में बढ़ रहा है?
दोनों शीर्ष नेताओं के बीच तनाव अब सार्वजनिक हो गया है।
शिवकुमार ने हाल ही में “सीक्रेट पावर शेयरिंग डील” का इशारा करते हुए कहा:
“जुबान की कीमत सबसे बड़ी होती है… हर किसी को अपनी बात पर कायम रहना चाहिए।”
यह बयान सीधे तौर पर सिद्धारमैया पर हमला माना गया।
जवाब में सिद्धारमैया ने भी साफ कहा कि—
“2023 में मिला जनादेश पाँच साल के लिए था”—
इससे साफ है कि वे अपनी कुर्सी छोड़ने के मूड में नहीं हैं।
कांग्रेस हाईकमान करेगा हस्तक्षेप
इस बढ़ते विवाद को देखते हुए कांग्रेस नेतृत्व अब सक्रिय हो गया है।
सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे जल्द ही मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम के साथ बैठक करेंगे।
उम्मीद है कि इसी बैठक में पार्टी की एकता और सरकार की स्थिरता को बचाने की कोशिश की जाएगी।
हालांकि, जिस तरह दोनों नेता मीडिया के सामने बयान दे रहे हैं, उससे पार्टी के भीतर बेचैनी और नुकसान दोनों बढ़ रहे हैं।
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