Thursday - 5 June 2025 - 2:23 PM

चिराग पासवान की सियासी हुंकार से बिहार में गरमाई राजनीति, नीतीश सरकार पर बोला तीखा हमला

जुबिली न्यूज डेस्क 

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नजदीक आते ही राज्य की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान एक बार फिर फ्रंटफुट पर नजर आ रहे हैं। अपने आक्रामक बयानों और तीखी आलोचनाओं के जरिए वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के लिए नई मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं।

चिराग ने पहले विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया और अब मुजफ्फरपुर में 9 साल की दलित बच्ची के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म और उसकी मौत के मामले को लेकर नीतीश सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है। यह मामला 26 मई का है, जब दलित बच्ची के साथ दरिंदगी हुई और इलाज में लापरवाही के कारण 1 जून को उसकी मौत हो गई। बच्ची को छह घंटे तक एंबुलेंस में तड़पना पड़ा था।

नीतीश सरकार पर चिराग का हमला

चिराग पासवान ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखते हुए इस घटना को राज्य की कानून व्यवस्था और स्वास्थ्य तंत्र की नाकामी करार दिया। उन्होंने तीन बड़ी मांगें रखीं:

  1. दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी और कठोर सजा।
  2. पीएमसीएच अस्पताल प्रशासन की न्यायिक जांच।
  3. लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों के खिलाफ केस और सस्पेंशन।

उन्होंने कहा कि यदि सरकार इस घटना पर चुप रही, तो यह चुप्पी भी एक अपराध होगी।

2020 चुनाव की रणनीति दोहराते चिराग

यह पहली बार नहीं है जब चिराग ने नीतीश सरकार के खिलाफ इस तरह की रणनीति अपनाई है। 2020 विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने जेडीयू के खिलाफ मोर्चा खोला था। एनडीए में रहते हुए भी उन्होंने जेडीयू के खिलाफ उम्मीदवार उतारे थे, जिससे नीतीश की पार्टी को भारी नुकसान हुआ था। उस समय जेडीयू 43 सीटों तक सिमट गई थी।

चिराग की सियासी महत्वाकांक्षा

हालांकि चिराग औपचारिक रूप से नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद के लिए समर्थन देने की बात कर रहे हैं, लेकिन उनके राजनीतिक कदम स्पष्ट संकेत देते हैं कि वह खुद को एक मजबूत विकल्प के रूप में पेश करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।

चिराग की पार्टी एलजेपी (रामविलास) एक समानांतर सियासी धारा तैयार कर रही है, जिसमें दलित, युवा और वंचित वर्ग को साधा जा रहा है। मुजफ्फरपुर की घटना को चिराग ने अपनी राजनीतिक पकड़ को मजबूत करने के लिए इस्तेमाल किया है।

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नतीजा: जेडीयू की सियासी मुश्किलें बढ़ीं

चिराग की इस नई सियासी मुहिम से नीतीश कुमार की चिंता बढ़ गई है। एक तरफ उन्हें विपक्षी दलों से चुनौती मिल रही है, वहीं NDA के अंदर से चिराग जैसे सहयोगी भी उनके लिए परेशानी का सबब बनते जा रहे हैं।

बिहार की राजनीति में चिराग पासवान की आक्रामक शैली और नीतीश कुमार पर उनके तीखे हमले यह साफ संकेत देते हैं कि चुनावी समर में यह मुकाबला और दिलचस्प होने वाला है।

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