Wednesday - 24 December 2025 - 5:15 PM

भारत के चारों ओर घेराबंदी की तैयारी में चीन? पड़ोसी देशों में PLA बेस बनाने की योजना का दावा

जुबिली न्यूज डेस्क

नई दिल्ली: अमेरिकी रक्षा विभाग यानी पेंटागन की ताज़ा सालाना रिपोर्ट ने भारत की सुरक्षा चिंताओं को एक बार फिर बढ़ा दिया है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन भारत के आसपास अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ाने की रणनीति पर काम कर रहा है। इसके तहत चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) भारत के चार पड़ोसी देशों—पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और म्यांमार—में अतिरिक्त सैन्य अड्डे या लॉजिस्टिक्स बेस बनाने की तैयारी कर रही है।

पेंटागन के अनुसार, इन बेसों के जरिए चीन जल, थल और नभ—तीनों सेनाओं की ताकत को बढ़ाने के साथ-साथ लंबी दूरी तक सैन्य पहुंच और समुद्री रास्तों की सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहता है।

भारत के करीब सेना तैनात करने की रणनीति

रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन पहले ही जिबूती में अपना एकमात्र विदेशी सैन्य अड्डा संचालित कर रहा है और कंबोडिया के रीम नेवल बेस तक उसकी पहुंच बन चुकी है। अब बीजिंग दुनिया के करीब एक दर्जन देशों में नए सैन्य अड्डे या लॉजिस्टिक सपोर्ट फैसिलिटी बनाने पर विचार कर रहा है, जिनमें भारत के पड़ोसी देश प्रमुख हैं। पेंटागन का मानना है कि ये सुविधाएं PLA को जरूरत पड़ने पर तेज़ी से सैनिकों, हथियारों और सैन्य संसाधनों की तैनाती में मदद करेंगी।

भारत के पड़ोसी देशों में क्या हो रहा है?

 पाकिस्तान

चीन और पाकिस्तान की सैन्य साझेदारी पहले से ही मजबूत मानी जाती है।

  • ग्वादर पोर्ट को चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के तहत रणनीतिक नौसैनिक अड्डे के रूप में विकसित किया जा रहा है

  • चीन ने पाकिस्तान को 35 J-10C फाइटर जेट्स दिए हैं

  • हैंगोर क्लास पनडुब्बियां, युद्धपोत और 5th जनरेशन FC-31 फाइटर जेट की पेशकश

  • JF-17 फाइटर जेट्स का संयुक्त निर्माण पहले से जारी

रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान चीन के लिए भारत के खिलाफ फॉरवर्ड मिलिट्री पार्टनर की भूमिका निभा रहा है।

 बांग्लादेश

पेंटागन की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन बांग्लादेश में भी सैन्य अड्डा या लॉजिस्टिक बेस बनाने पर विचार कर रहा है।

  • बांग्लादेश J-10C फाइटर जेट्स खरीदने में रुचि दिखा चुका है

  • चीन पहले ही VT-5 लाइट टैंक, मिंग क्लास की दो पनडुब्बियां और दो युद्धपोत (2024) दे चुका है

रिपोर्ट के अनुसार, शेख हसीना सरकार के दौर में बने सैन्य रिश्ते यूनुस सरकार के समय भी जारी हैं।

 श्रीलंका और म्यांमार

इन दोनों देशों में चीन पूरे सैन्य अड्डे की बजाय लॉजिस्टिक सपोर्ट फैसिलिटी विकसित करने की योजना पर काम कर रहा है।
इनका उद्देश्य है—

  • PLA Navy की समुद्री मौजूदगी बढ़ाना

  • हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की पकड़ मजबूत करना

चीन को किस बात की सबसे ज्यादा चिंता?

पेंटागन की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की सबसे बड़ी रणनीतिक चिंता मलक्का स्ट्रेट है।

  • यह समुद्री रास्ता चीन के तेल और व्यापार के लिए लाइफलाइन माना जाता है

  • चीन को डर है कि भारत और अमेरिका की नौसेना यहां उसे घेर सकती है

इसके अलावा, चीन को

  • होर्मुज स्ट्रेट

  • अफ्रीका-मध्य पूर्व के समुद्री मार्गों
    की सुरक्षा को लेकर भी गंभीर चिंता है।

अन्य देशों में भी बेस की योजना

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चीन केवल भारत के पड़ोसी देशों तक सीमित नहीं है।इन देशों में भी सैन्य सुविधाएं बनाने पर चर्चा चल रही है—अंगोला, क्यूबा, गिनी, इंडोनेशिया, केन्या, मोजाम्बिक, नामीबिया, नाइजीरिया, पापुआ न्यू गिनी, सेशेल्स, सोलोमन आइलैंड्स, ताजिकिस्तान, थाईलैंड, UAE और वानुअतु

भारत पर क्या असर पड़ेगा?

पेंटागन का कहना है कि

  • चीन, पाकिस्तान के साथ सैन्य संबंध मजबूत कर

  • भारत-अमेरिका की बढ़ती रणनीतिक साझेदारी को काउंटर करने की कोशिश कर रहा है

हालांकि हाल के महीनों में

  • मोदी-शी जिनपिंग की मुलाकातों

  • LAC पर तनाव कम करने के संकेत

  • वीज़ा सेवाओं की बहाली
    जैसे सकारात्मक कदम भी देखने को मिले हैं।

लेकिन रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि चीन अरुणाचल प्रदेश को अपने ‘कोर इंटरेस्ट’ का हिस्सा बताने से पीछे नहीं हट रहा।

‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ रणनीति का हिस्सा?

रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह पूरी कवायद चीन की ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ रणनीति का हिस्सा है।
इस रणनीति के तहत चीन—

  • भारत के चारों ओर रणनीतिक ठिकाने बनाकर

  • हिंद महासागर क्षेत्र में दबदबा कायम करना चाहता है

चीन की प्रतिक्रिया?

पेंटागन की इस रिपोर्ट पर चीन की ओर से फिलहाल कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि अमेरिका साफ कर चुका है कि वह चीन की बढ़ती सैन्य ताकत और वैश्विक विस्तार पर लगातार नजर बनाए हुए है

पेंटागन की रिपोर्ट साफ संकेत देती है कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सैन्य संतुलन तेजी से बदल रहा है। भारत के लिए यह केवल कूटनीतिक नहीं, बल्कि रणनीतिक चुनौती भी है, जिस पर आने वाले समय में उसकी सुरक्षा नीति और विदेश नीति दोनों निर्भर करेंगी।

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