जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने 2008 के मुंबई आतंकी हमलों को लेकर बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि उस समय तत्कालीन यूपीए सरकार पर भारी अंतरराष्ट्रीय दबाव था, जिसके चलते पाकिस्तान के खिलाफ सीधी सैन्य कार्रवाई नहीं की गई। चिदंबरम ने यह भी माना कि उनके मन में बदला लेने का विचार आया था, लेकिन सरकार ने कूटनीतिक रास्ता चुनना ज्यादा बेहतर समझा।
“प्रधानमंत्री ने बुलाकर गृह मंत्री बनाया”
एक चैनल को दिए इंटरव्यू में चिदंबरम ने बताया कि उन्हें 30 नवंबर 2008 को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्रालय से हटाकर गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी दी।“मैं इसके लिए तैयार नहीं था, लेकिन प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने फैसला कर लिया है।”
पाकिस्तान पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
चिदंबरम ने कहा कि उन्हें उस समय सुरक्षा बलों और खुफिया एजेंसियों की वास्तविक तैयारियों की जानकारी नहीं थी।“मेरे मन में बदला लेने का विचार आया था। मैंने प्रधानमंत्री और अन्य लोगों से चर्चा भी की। लेकिन विदेश मंत्रालय और IFS का मानना था कि सीधे प्रतिक्रिया देने से हालात बिगड़ सकते हैं, इसलिए कूटनीतिक रास्ता अपनाना ही बेहतर होगा।”
अमेरिका ने भी दी थी चेतावनी
पूर्व गृह मंत्री ने खुलासा किया कि उनके पद संभालने के कुछ ही दिनों बाद तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री कोंडोलीजा राइस दिल्ली आई थीं।“उन्होंने मुझसे और प्रधानमंत्री से मुलाकात कर साफ कहा था कि पाकिस्तान पर हमला न करें।”
बीजेपी का पलटवार
चिदंबरम के बयान पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने कांग्रेस को घेरा है। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा—“पूर्व गृहमंत्री ने 17 साल बाद जो स्वीकार किया है, वह देश पहले से ही जानता था। विदेशी दबाव के कारण यूपीए सरकार 26/11 हमले का जवाब नहीं दे पाई। अब इस स्वीकारोक्ति का कोई फायदा नहीं है, क्योंकि बहुत देर हो चुकी है।”
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26 नवंबर 2008 को पाकिस्तान से आए 10 आतंकवादियों ने मुंबई में आतंकी हमला किया था। इसमें 170 से अधिक लोग मारे गए थे और सैकड़ों घायल हुए थे। यह हमला भारत के इतिहास के सबसे बड़े आतंकवादी हमलों में से एक माना जाता है।