डॉ सीपी राय बहुत आश्चर्यचकित है हिंदुस्तान आज उन ताकतों के द्वारा महात्मा गांधी की माला जपने से जिनके आदर्शो ने आज से 77 वर्ष पूर्व महात्मा गांधी की महज शारीरिक हत्या कर दी थी ,लेकिन बापू मरे नही. अपने विचारों और आदर्शो के साथ वो आज भी जिन्दा है …
Read More »जुबिली डिबेट
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्यों के विरुद्ध है उच्च शिक्षा में समान पाठ्यक्रम
प्रो. अशोक कुमार शिक्षा एक मौलिक मानव अधिकार है , आर्थिक और सामाजिक प्रगति का एक प्रमुख चालक है। शिक्षा के महत्व को स्वीकार करते हुए, भारत सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 पेश की, जो देश में शिक्षा के विकास के लिए एक व्यापक रूपरेखा है। NEP 2020 …
Read More »विदेशी पर्यटकों को खींच रही चुम्बकीय सनातनी चेतना
नवेद शिकोह सैकड़ों वर्षों के आंदोलन का प्रतिफल राम मंदिर हो या 144 वर्षों बाद नक्षत्रों के संयोग का महाकुंभ हो, अयोध्या और प्रयागराज में सनातनी चुम्बकीय शक्ति विदेशी पर्यटकों को यूपी की पावन धरती की तरफ खींच रही है। भारत की संस्कृति दुनिया को आकर्षित करती है और यूपी …
Read More »भविष्य के धार्मिक स्थलों का स्वरूप क्या होगा?
संदीप पाण्डेय हवाई अड्डों पर एक प्रार्थना कक्ष होता है। वहां यह नहीं लिखा रहता कि वह किसी खास धर्म का है। हम जिस धर्म को मानते हैं उसके अनुसार वहां प्रार्थना कर सकते हैं। यदि हम विभिन्न धर्मों को मानने वालों के बीच झगड़े खत्म करना चाहते हैं तो …
Read More »आंसुओं से थम गया अट्टहास….
नवेद शिकोह पत्रकारिता के सुनहरे दौर के गवाह अनूप श्रीवास्तव भी चले गए अट्टहास अंत में आंखों में आंसू ला देता है। ज़िन्दगी भी अट्टहास है और हंसती-खेलती ज़िन्दगी का अंत भी आंसू यानी मौत है। अनूप श्रीवास्तव जी के संपादन में अट्टहास पत्रिका का ये आखिरी अंक था। …
Read More »एकत्र जातियों का अमृत कलश ‘महाकुंभ’
नवेद शिकोह एक जमाना था जब कुंभ में खो जाने का भय बना रहता था, पर आज का कुंभ इकट्ठा होकर मिल जाने की नज़ीर बन रहा है। दूरसंचार की क्रांति के बाद का ये महाकुंभ प्रयागराज के संगम पर लोगों को मिलवा रहा है, जातियों का भेद मिटा रहा …
Read More »क्या विश्वविद्यालयों को स्वायत्तता केवल अकादमिक ही होनी चाहिये ?
अशोक कुमार यह एक बेहद महत्वपूर्ण प्रश्न है जो उच्च शिक्षा के क्षेत्र में लगातार चर्चा का विषय बना रहता है। अकादमिक स्वायत्तता क्या है? यह विश्वविद्यालयों को अपने पाठ्यक्रम, शोध और शिक्षण पद्धतियों को स्वतंत्र रूप से निर्धारित करने की अनुमति देती है। यह उन्हें नवाचार करने और वैश्विक …
Read More »आज भी प्रासंगिक हैं स्वामी विवेकानंद के विचार
कृष्णमोहन झायह एक प्रसिद्ध कहावत है कि जिंदगी लंबी नहीं बड़ी होना चाहिए। यह कहावत भारतीय दर्शन और अध्यात्म के प्रकांड विद्वान और युवा पीढ़ी के अनन्य प्रेरणा स्रोत स्वामी विवेकानंद का के यशस्वी व्यक्तित्व और कृतित्व पर पूरी तरह खरी उतरती है जिनके क्रांतिकारी विचारों ने मात्र 39 वर्ष …
Read More »जो कभी नहीं रहा विवादों में उसकी मौत हुई रहस्यमई
जुबिली स्पेशल डेस्क 2 अक्टूबर को ही देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की भी जयंती मनाई जाती है जबकि 11 जनवरी 1966 को उज्बेकिस्तान के ताशकंद में उनकी बड़ी रहस्यमयी तरीके से मौत हुई थी। उनकी सादगी अपने आप में एक मिसाल है। ईमानदारी और स्वाभिमानी छवि की …
Read More »दिल्ली में कांग्रेस के सामने शून्य से शुरुआत करने की चुनौती
कृष्णमोहन झा केंद्रीय चुनाव आयोग ने केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली की विधानसभा के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर दी है और इसी के साथ वहां चुनाव में किस्मत आजमाने की मंशा रखने वाले राजनीतिक दलों के चुनाव अभियान में तेजी आ गई है। इन दलों में आम आदमी पार्टी और …
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