Wednesday - 3 December 2025 - 5:44 AM

‘ब्रेकफास्ट पॉलिटिक्स’! कांग्रेस के लिए सच में कारगर साबित होगा?

जुबिली स्पेशल डेस्क

दिल्ली से 2100 किलोमीटर दूर बेंगलुरु में कर्नाटक की सत्ता को लेकर चल रही खींचतान अब ब्रेकफास्ट पॉलिटिक्स में बदल गई है। कुर्सी एक है, दावेदार दो—एक तरफ मौजूदा मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, और दूसरी तरफ डिप्टी सीएम डी.के. शिवकुमार, जिनकी निगाहें सत्ता की चाबी पर टिकी हैं।

लगातार दो हफ्तों से चले आ रहे इस विवाद को शांत करने के लिए कांग्रेस ने “नाश्ता-डिप्लोमेसी” का फॉर्मूला अपनाया। सवाल यह—इस नाश्ते में मिठास थी या सियासी तड़का ज़्यादा?

नाश्ते की टेबल पर ‘भाईचारा’, लेकिन स्वाद में राजनीति

शिवकुमार के घर आज नाश्ता मीटिंग हुई। सिद्धारमैया समय पर पहुंचे, स्वागत में डी.के. सुरेश भी मौजूद थे। अंदर बढ़िया ब्रेकफास्ट, गपशप और कैमरे के सामने एकजुटता का प्रदर्शन।

दोनों नेताओं ने तस्वीरें भी पोस्ट कीं 

  • सिद्धारमैया ने कन्नड़ में लिखा: “हम दोनों हमेशा भाई रहेंगे, कोई मतभेद नहीं।”

  • शिवकुमार ने अंग्रेजी में जवाब दिया: “मुख्यमंत्री का स्वागत कर गौरवान्वित हूँ। हम सुशासन व कर्नाटक के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

चार दिन में दो नाश्ते—29 नवंबर को सिद्धारमैया ने अपने घर बुलाया था, और आज शिवकुमार ने। यानी ब्रेकफास्ट के ज़रिए ब्रेक डिफरेंस की कोशिश चल रही है। विधानसभा सत्र नज़दीक है, ऐसे में कांग्रेस कोई जोखिम नहीं लेना चाहती।

विवाद की जड़-’ढाई-ढाई साल’ का वादा

पूरा ड्रामा उस वादे पर टिका है जिसमें सीएम की कुर्सी 2.5–2.5 साल के फॉर्मूले पर बांटने की चर्चा थी। 20 नवंबर को सिद्धारमैया के साढ़े दो साल पूरे होने पर शिवकुमार सक्रिय हुए, लेकिन अभी भी उन्हें “वेटिंग मोड” में रहना पड़ रहा है।सियासी गलियारों में चर्चा है कि सिद्धारमैया फिलहाल कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं। वजह—एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड

रिकॉर्ड की दौड़-क्या सिद्धारमैया कुर्सी नहीं छोड़ेंगे?

कर्नाटक के दिग्गज कांग्रेस नेता देवराज उर्स अब तक राज्य के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे—2,792 दिन
सिद्धारमैया अब तक 2,753 दिन पूरे कर चुके हैं। रिकॉर्ड तोड़ने के लिए उन्हें सिर्फ 39 दिन और चाहिए।

यही कारण बताया जा रहा है कि वे अगले साल की शुरुआत में एक और बजट खुद पेश करना चाहते हैं। अगर आलाकमान ने हरी झंडी दी, तो वे कर्नाटक के इतिहास में नया रिकॉर्ड बना देंगे और शिवकुमार का इंतजार और लंबा हो जाएगा।

शिवकुमार की ‘मौन जीत’ वचन अब खुलकर सामने

इस खींचतान से डीके का एक फायदा हुआ 2023 में बंद कमरे में हुई “पावर शेयरिंग डील” अब सार्वजनिक हो गई।
आलाकमान ने भी इसे अनुशासनहीनता नहीं माना, यानी ‘वचन’ वाली बात पूरी तरह झूठ भी नहीं।

अब सवाल यह है क्या डी.के. शिवकुमार रिकॉर्ड बनने तक सब्र दिखाएंगे? या कर्नाटक में यह ब्रेकफास्ट पॉलिटिक्स अभी और कई कोर्स परोसेगी?

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