जुबिली स्पेशल डेस्क
बिहार के पूर्णिया ज़िले में इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली एक दर्दनाक घटना सामने आई है। डायन होने के संदेह में एक महिला समेत उसके परिवार के कुल पाँच लोगों को ज़िंदा जला दिया गया। यह भयावह घटना पूर्णिया के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के राजीगंज पंचायत अंतर्गत टेटगामा गांव के वार्ड संख्या 10 में हुई।
घर में लगाई आग, पूरा परिवार जलकर राख
गांव के ही कुछ लोगों ने एक महिला पर डायन होने का आरोप लगाते हुए उसके परिवार को भी निशाना बनाया। रविवार देर रात बाबू लाल उरांव, उनकी पत्नी सीता देवी, मां कातो देवी, बेटे मनजीत कुमार और बहू रानी देवी को घर में बंद कर आग लगा दी गई। आग की लपटों में पांचों की दर्दनाक मौत हो गई।
16 साल का बेटा बना चश्मदीद, किसी तरह बची जान
इस भीषण वारदात का इकलौता चश्मदीद बाबू लाल का 16 वर्षीय बेटा है, जो किसी तरह जान बचाकर वहां से भाग निकला और अपनी नानी के घर पहुंचा। वहीं से घटना की सूचना पुलिस को दी गई।
गांव में पसरा सन्नाटा, कई ग्रामीण फरार
घटना के बाद से गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। आसपास के कई लोग अपने घरों से फरार हो गए हैं। घटना की सूचना मिलने पर मुफस्सिल थाना समेत तीन थानों की पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को संभालने में जुटी है।
एसपी स्वीटी सहरावत ने ली घटनास्थल की जांच
पूर्णिया की एसपी स्वीटी सहरावत ने घटनास्थल का दौरा किया और चश्मदीद बच्चे से बयान लिया। पुलिस ने अब तक इस मामले में तीन संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। हालांकि, अधिकारी अभी बयान देने से बच रहे हैं।
मृतकों की पहचान
- कातो देवी (70 वर्ष)
- बाबू लाल उरांव (50 वर्ष)
- सीता देवी (40 वर्ष)
- मनजीत कुमार (25 वर्ष)
- रानी देवी (20 वर्ष)
यह घटना न सिर्फ एक सामाजिक कलंक है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करती है कि आज भी अंधविश्वास की आग में कितनी निर्दोष ज़िंदगियाँ झुलस रही हैं। जरूरत है समाज में जागरूकता की, ताकि किसी को ‘डायन’ बताकर इस तरह की बर्बरता दोहराई न जाए।