Thursday - 29 May 2025 - 8:23 PM

कानपुर मेट्रो प्रोजेक्ट में बड़ा घोटाला? तुर्की कंपनी ने लगाया 80 करोड़ का चुना

जुबिली न्यूज डेस्क 

कानपुर, — कानपुर मेट्रो परियोजना के भूमिगत खंड के निर्माण में शामिल तुर्की की निर्माण कंपनी गुलेरमक पर गंभीर आरोप लगे हैं। स्थानीय 53 ठेकेदारों का दावा है कि कंपनी ने लगभग 80 करोड़ रुपये का भुगतान पिछले 10 महीनों से रोक रखा है और अब कंपनी के सभी वरिष्ठ अधिकारी शहर छोड़कर फरार हो चुके हैं।

तुर्की कंपनी पर गंभीर आरोप, ठेकेदारों में हड़कंप

ठेकेदारों का कहना है कि बार-बार आश्वासन मिलने के बावजूद भुगतान नहीं किया गया। वहीं कुछ ठेकेदारों का मानना है कि भारत-पाकिस्तान युद्ध में तुर्की की कथित भूमिका और भारत में हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद जानबूझकर भुगतान में देरी की गई।

कंपनी के अधिकारी संपर्क से बाहर

गुलेरमक के उच्चाधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन वे टालमटोल भरे जवाब देते रहे और अब फोन कॉल्स तक रिसीव नहीं कर रहे। स्थिति से परेशान होकर नौ ठेकेदारों ने जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय में लिखित शिकायत दर्ज कराई है।

किसे कितना बकाया है?

ठेकेदारों ने बकाया राशि का ब्यौरा भी साझा किया है:

  • मेट्रो मार्बल – ₹3.70 करोड़

  • रेडिएंट सर्विसेज – ₹1.20 करोड़

  • श्रेयांस इन्फ्राटेक – ₹1.70 करोड़

  • एस इंटीरियर – ₹74.80 लाख

  • एमडी एहसान पेंटर – ₹39.80 लाख

  • विनोद गुप्ता एंटरप्राइजेज – ₹8.54 लाख

  • नंदन प्रीफैब – ₹29.50 लाख

  • श्री बालाजी एंटरप्राइजेज – ₹21.50 लाख

UPMRC का जवाब – जिम्मेदारी गुलेरमक की है

यूपी मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (UPMRC) के संयुक्त महाप्रबंधक (जनसंपर्क) पंचानन मिश्रा ने कहा कि:“गुलेरमक को कानपुर मेट्रो के कॉरिडोर-1 के चार स्टेशनों का निर्माण कार्य पूरा करने पर पूरा भुगतान कर दिया गया है। ठेकेदार कंपनी के सब-कॉन्ट्रैक्टर्स हैं। अनुबंध के अनुसार 5% राशि रिज़र्व में रखी गई है, जो एक वर्ष बाद दी जाएगी। यदि गुलेरमक भुगतान नहीं करती है, तो UPMRC ठेकेदारों को यह राशि देने को बाध्य होगी।”

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जांच और जवाबदेही की मांग

यह घटना न सिर्फ वित्तीय अनियमितताओं को उजागर करती है, बल्कि बड़े सरकारी प्रोजेक्ट्स में सुबकॉंट्रैक्टर सिस्टम की खामियों को भी सामने लाती है। ठेकेदारों और श्रमिकों में व्यापक आक्रोश है, जो अपने हक़ की लड़ाई लड़ रहे हैं। प्रशासन ने जांच का आश्वासन दिया है, लेकिन ठेकेदारों को अब तक कोई ठोस राहत नहीं मिली है।

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