जुबिली न्यूज डेस्क
एक समय था जब लड़कियों की ज़िंदगी का लक्ष्य होता था – पढ़ाई पूरी करके शादी करना और फिर परिवार बसाना। लेकिन अब ये तस्वीर बदल रही है। भारत समेत दुनियाभर में लाखों महिलाएं अब शादी को प्राथमिकता देने के बजाय स्वतंत्र और खुशहाल जीवन जीने को तरजीह दे रही हैं।
भारत में रिकॉर्ड संख्या में महिलाएं ‘अनमैरिड’
2022 की एक आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 7 करोड़ से अधिक महिलाएं ऐसी थीं, जिन्होंने शादी नहीं की थी।
इसमें कुंवारी, तलाकशुदा और विधवा महिलाएं शामिल हैं। यह आंकड़ा अपने आप में ऐतिहासिक है, क्योंकि यह यूनाइटेड किंगडम और स्विट्ज़रलैंड की कुल जनसंख्या के बराबर है।
कौन से देश में सबसे ज्यादा ‘कुंवारी’ महिलाएं?
अगर ग्लोबल स्तर पर देखें तो जापान और स्वीडन ऐसे देश हैं जहां सबसे अधिक संख्या में महिलाएं शादी नहीं कर रही हैं।
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जापान में हर 7 में से 1 महिला 50 साल की उम्र तक शादी नहीं करती।
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इन देशों में सिंगल महिलाओं के लिए विशेष बिजनेस मॉडल, सर्विसेज़ और सोशल सपोर्ट सिस्टम तक विकसित हो गए हैं।
महिलाएं शादी से क्यों बना रही हैं दूरी?
पारंपरिक सोच बनाम आज की जरूरतें
आज भी कई समाजों में, खासकर एशियाई देशों में, महिलाओं से अपेक्षा की जाती है कि वे घर संभालें और पुरुष बाहर काम करें।इस सोच से टकराव और घरेलू हिंसा जैसी घटनाएं उन्हें शादी से दूर कर रही हैं।
आर्थिक आत्मनिर्भरता
अब महिलाएं पढ़-लिखकर खुद कमाने और अपने फैसले लेने में सक्षम हो रही हैं। उन्हें किसी की ‘परछाई’ बनने की ज़रूरत नहीं लगती।
करियर और स्वतंत्रता को प्राथमिकता
शादी के बाद पारिवारिक जिम्मेदारियों में करियर अक्सर पीछे छूट जाता है। आज की महिलाएं पहले करियर, फिर बाकी सोचेंगी वाली सोच अपनाने लगी हैं।
शादी में असुरक्षा और हिंसा का डर
सोनम-राजा रघुवंशी जैसे ताजा मामले इस सोच को और मज़बूत करते हैं कि एक गलत रिश्ते में फंसने से बेहतर है अकेले खुश रहना।
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समाज में बदलाव की बयार
शादी को अब “लाइफ गोल” नहीं, बल्कि “पर्सनल चॉइस” के रूप में देखा जा रहा है। महिलाएं अब सवाल पूछ रही हैं – क्या शादी जरूरी है?
उनका जवाब है – “नहीं, जब तक रिश्ता सम्मान और बराबरी पर आधारित न हो।”