Saturday - 13 January 2024 - 2:34 PM

चुनाव के केंद्र में ‘मुसलमान’ को लाने की कोशिश

अविनाश भदौरिया।

भारत की सियासत में ‘धर्म’ और ‘जाति’ हमेशा से ही अहम रहे हैं। इसकी एक वजह यह है कि धर्म और जाति पर सियासत करना सुविधाजनक है। विकास या अन्य मुद्दों पर जनता का समर्थन वैसा नहीं मिलता जैसा की धर्म और जाति के नाम पर मिलता है। देश में 17वीं लोकसभा के चुनाव के लिए मतदान शुरू हो चुका है। पहले चरण का चुनाव संपन्न होने के बाद दूसरे चरण की तैयारियां जोरों पर हैं। इसी बीच उत्तर प्रदेश के नेताओं ने चुनावी भाषणों में आचार संहिता की मर्यादा को तार-तार करते हुए जहर उगलना शुरू कर दिया है।

राष्ट्रवाद और बेरोजगारी के मुद्दों से आगे चलकर सियासत ‘मुसलमान’ पर केन्द्रित होती नजर आ रही है। दरअसल यूपी की आबादी में क़रीब 20 फ़ीसदी हिस्सा मुसलमानों का है। 2011 की जनगणना के मुताबिक़ यूपी में 4 करोड़ मुसलमान हैं तो देशभर में 18 करोड़ यानी 14 फ़ीसदी। इसके आलावा लोगों की यह भी धारणा है कि मुस्लिम वोटबैंक एकजुट होकर वोटिंग करता है और सत्ता की कुर्सी दिलवाने में अहम भूमिका अदा करता है। यही वजह है कि हर पार्टी की प्राथमिकता में ‘मुसलमान’ रहते हैं।

इस लोकसभा चुनाव की बात की जाए तो मुसलमानों पर सियासत शुरू करने वाली बसपा सुप्रीमो मायावती हैं। उन्होंने सहारनपुर जिले के देवबंद में हुई महागठबंधन रैली में मुसलमानों से वोट देने की अपील की। मायावती ने मुस्लिम मतदाताओं से कहा कि भाजपा को कांग्रेस नहीं हरा सकती। उसे सिर्फ महागठबंधन हरा सकता है, लिहाजा मुस्लिम मतदाता कांग्रेस को वोट देकर उसे जाया करने के बजाय महागठबंधन के पक्ष में एक तरफा मतदान करें।

मायावती के इस बयान पर बीजेपी के फायरब्रांड नेता यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी बयान जारी कर कहा कि ‘मायावती अगर मुसलमानों के वोट मांग रही हैं, तो दूसरे समुदाय भी तय करेंगे कि उन्हें किसके साथ जाना है’।

योगी ने मेरठ की एक चुनावी रैली में कहा था कि यदि सपा, बसपा और उनके गठबंधन को अली पर भरोसा है तो उन्हें बजरंग बली पर भरोसा है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि मायावती कहती हैं कि उन्हें मुसलमानों के वोट चाहिए, बाकी वोट नहीं चाहिए, तो बाकी वोट भाजपा को चाहिए। उन्होंने इसी दौरान एक और बयान दिया। योगी ने कहा कि अगर कांग्रेस-बीएसपी-एसपी को ‘अली’ पर विश्वास है तो हमें भी बजरंगबली पर विश्वास है।

अब जब बयानबाजी शुरू हो चुकी है तो आजम खान कैसे चुप रहते। उन्होंने भी एक नए भगवान की ही रचना कर डाली ‘बजरंग अली। उन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ पर हमला बोलते हुए दुआ कर डाली कि ‘बजरंग, अली, ले लो ज़ालिमों की बलि’।
सपा नेता आजम खान ने भी अली-बजरंग बली विवाद पर बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि अली और बजरंग में झगड़ा मत कराओ, मैं तो एक नाम दे देता हूं। बजरंग अली मेरा तो दीन कमजोर नहीं हुआ।

उत्तर प्रदेश की मुरादाबाद सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे शायर और युवाओं के बीच चर्चित इमरान प्रतापगढ़ी ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम वोटों के ठेकेदारों का मिथक टूट चुका है। समाजवादी पार्टी मुस्लिमों को अपना वोट बैंक समझते आई है, लेकिन आज वह मुरादाबाद की जमीन पर नहीं दिख रही है। उन्होंने कहा कि अब मुसलमान किसी एक पार्टी का वोट बैंक नहीं है। मुस्लिम वोटर अच्छा प्रत्याशी और पार्टी चुन रहा है।

वहीं केंद्रीय मंत्री व सुल्तानपुर से भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार मेनका गांधी ने मुसलमानों से वोट देने की अपील करते हुए कहा कि अगर वे उन्हें वोट नहीं देंगे तो वह भी उनके लिए काम नहीं करेंगी।

मायावती से लेकर मेनका गांधी तक सभी को चुनाव आयोग ने नोटिस भेजा है और प्रशासन से रिपोर्ट भ मांगी गई है, लेकिन कार्रवाई कुछ भी एक बात साफ़ है कि नेताओं को ‘मुसलमान’ सिर्फ वोट बैंक ही नजर आते हैं। वैसे पिछले लोकसभा चुनाव के परिणाम पर गौर किया जाए तो जो परिणाम देखने को मिलता है वह चौंकाने वाला है। 2014 के लोकसभा चुनाव में यूपी से एक भी मुसलमान सांसद नहीं चुना गया था। ऐसे में यह स्पष्ट समझा जा सकता है कि मुस्लिम वोट बैंक भी बंटा हुआ है ना कि एकजुट है।

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