Thursday - 30 October 2025 - 11:00 AM

दिल्ली में नहीं बरसी ‘कृत्रिम बारिश’: कांग्रेस बोली—‘करोड़ों रुपये की बारिश चोरी हो गई!’

जुबिली न्यूज डेस्क

देश की राजधानी दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण (Air Pollution in Delhi) को कम करने के लिए सरकार ने क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding) यानी कृत्रिम बारिश कराने का ऐलान किया था। सरकार ने दावा किया था कि क्लाउड सीडिंग का ट्रायल पूरा हो चुका है और 15 मिनट से 4 घंटे के भीतर बारिश हो सकती है। लेकिन, दिल्लीवासियों को अब तक बारिश की एक भी बूंद नसीब नहीं हुई।इस पर विपक्ष ने सरकार पर करोड़ों रुपये की “बारिश चोरी” का आरोप लगाया है।

“करोड़ों रुपये की बारिश चोरी हो गई” — अक्षय लाकरा

दिल्ली युवा कांग्रेस अध्यक्ष अक्षय लाकरा ने इस मामले में संसद मार्ग थाने में शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी नेताओं ने करोड़ों रुपये खर्च करके जनता को धोखा दिया है।

लाकरा ने तंज कसते हुए कहा, “आखिरी बार यह कृत्रिम बारिश दिल्ली सरकार के मंत्रियों के वादों और टीवी पर देखी गई थी। करोड़ों रुपये फूंक दिए गए, प्लेन उड़ाए गए, लेकिन बारिश होने से पहले ही बीजेपी नेता वाहवाही लूट ले गए। इसके बाद न तो बादल बरसे और न ही भाजपाई दिखे।” कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि यह पूरा प्रोजेक्ट ‘पब्लिसिटी स्टंट’ साबित हुआ है और जनता के टैक्स के पैसे को बर्बाद किया गया है।

क्लाउड सीडिंग ट्रायल में हुआ भारी खर्च

दिल्ली के मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कुछ दिन पहले क्लाउड सीडिंग ट्रायल की सफलता का दावा किया था।
उन्होंने बताया था कि यह प्रयोग सेसना विमान (Cessna Plane) के जरिए किया गया था और दिल्ली के खेकड़ा, बुराड़ी, मयूर विहार समेत कई इलाकों में परीक्षण किए गए।

सिरसा ने बताया था कि

  • एक परीक्षण में लगभग 20 से 25 लाख रुपये खर्च होते हैं।

  • ऐसे करीब 10 ट्रायल्स के बाद ही बारिश की वास्तविक मात्रा का आकलन किया जा सकता है।

लेकिन अब तक दिल्ली में कहीं भी बारिश नहीं हुई, जिससे सरकार की मंशा और ट्रायल की प्रभावशीलता पर सवाल उठने लगे हैं।

क्या है क्लाउड सीडिंग?

क्लाउड सीडिंग यानी कृत्रिम बारिश (Artificial Rain) एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जिसमें बादलों में सिल्वर आयोडाइड या सोडियम क्लोराइड जैसे केमिकल छोड़े जाते हैं ताकि उनमें नमी बढ़े और बारिश हो सके।
इस प्रक्रिया में एयरक्राफ्ट या ड्रोन का इस्तेमाल होता है और यह प्रयोग काफी महंगा होता है।

दिल्ली सरकार का कहना था कि यह प्रयास प्रदूषण कम करने (Reduce Air Pollution) के लिए किया जा रहा है, ताकि वायु गुणवत्ता (AQI) में सुधार हो सके।

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विपक्ष के निशाने पर सरकार

कांग्रेस ने इस पूरे मामले में केंद्र और दिल्ली दोनों सरकारों को कठघरे में खड़ा किया है। विपक्ष का आरोप है कि

  • करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद कोई ठोस नतीजा नहीं मिला।

  • जनता को झूठे वादों से बहकाया गया।

  • अब “क्लाउड सीडिंग” को “क्लाउड फेलिंग” करार दिया जा रहा है।

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