जुबिली स्पेशल डेस्क
रूस और यूक्रेन के बीच तीन साल से अधिक समय से जारी युद्ध पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का बड़ा बयान सामने आया है। पुतिन ने शनिवार, 22 नवंबर 2025 को दावा किया कि मॉस्को और वाशिंगटन ने मिलकर 28 सूत्रीय शांति प्लान तैयार किया है, जो युद्ध समाप्ति के लिए आधार बन सकता है।
हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस समझौते को स्वीकार करने के लिए यूक्रेन पर दबाव बना रहे हैं, लेकिन कीव के इसे मानने की संभावना बेहद कम मानी जा रही है। इसके पीछे तीन बड़ी वजहें बताई जा रही हैं
1. यूक्रेन के 5वें हिस्से पर रूसी नियंत्रण की मान्यता
शांति प्रस्ताव के तहत क्रीमिया, लुहांस्क और डोनेट्स्क पर रूसी कब्जे को आधिकारिक मान्यता देने की बात शामिल है—और इसमें अमेरिका भी सहमत माना जा रहा है।
यह यूक्रेन के लिए सबसे बड़ा झटका है, क्योंकि रूस को औद्योगिक और सामरिक रूप से अहम डोनेट्स्क क्षेत्र भी मिलेगा। यूक्रेन को डोनेट्स्क के कुछ हिस्सों से सेना हटानी होगी, जिन्हें “न्यूट्रल ज़ोन” के रूप में रूस के नियंत्रण क्षेत्र में शामिल किया जाएगा।
अगर यह प्रस्ताव लागू होता है तो यूक्रेन अपनी जमीन का महत्वपूर्ण हिस्सा खो देगा।
2. सुरक्षा गारंटी पर संकट, NATO सदस्यता पर रोक
यूक्रेन लंबे समय से NATO का सदस्य बनना चाहता है, लेकिन रूस इसके पूरी तरह खिलाफ है।
28 सूत्रीय प्लान के अनुसार—
रूस पड़ोसी देशों पर हमला न करने की प्रतिबद्धता देगा।
NATO आगे विस्तार न करने का आश्वासन देगा।
लेकिन यूक्रेन को विश्वसनीय सुरक्षा गारंटी नहीं मिलेगी।
यूक्रेन को अपने संविधान में बदलाव कर लिखना होगा कि वह कभी NATO में शामिल नहीं होगा।
यूक्रेन इसे “आत्मसमर्पण” की तरह देख रहा है।
जेलेंस्की का कहना है—
“हमारे लिए यह जीने या मरने का सवाल है। गुलाम बनकर मरने से बेहतर है खड़े होकर लड़ते हुए मरना।”
3. वॉर क्राइम पर माफी का प्रस्ताव
समझौते में युद्ध के दौरान हुई सभी कार्रवाइयों के लिए सभी पक्षों को माफी देने का सुझाव है।
यूक्रेन इसे अस्वीकार्य मानता है क्योंकि—
उसने रूस पर कई गंभीर युद्ध अपराधों का आरोप लगाया है।
माफी मिलने से भविष्य में रूसी हमले की राह और आसान हो सकती है।
यूक्रेन को आशंका है कि यह समझौता रूस को “दंड मुक्त” कर देगा।
जेलेंस्की का तीखा बयान
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमीर जेलेंस्की ने कहा—”हम एक असंभव विकल्प का सामना कर रहे हैं।””अगर हम समझौते को अस्वीकार करते हैं तो हमारी गरिमा बची रहेगी, लेकिन अगर स्वीकार करते हैं तो हम आज़ादी, न्याय और स्वाभिमान खो देंगे।””यूक्रेन के हितों को मैं कभी नहीं बेचूंगा।”
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