जुबिली स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। पूरी दुनिया की नजर इस समय रूस और यूक्रेन के बीच चल रही है जंग पर है। दोनों देशों के बीच अब तक जंग को 28 दिन होने को जा रहे हैं लेकिन यूक्रेन ने अभी तक रूस के आगे घुटने नहीं टेके हैं और लगातार रूस को कड़ी टक्कर भी दे रहा है।
उधर रूस के कदम भी पीछे हटने को तैयार नहीं है और यूक्रेन को तबाह और बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। इस वजह से दुनिया के ज्यादतर देश रूस को अलग-थलग करने में लग गए है।
अमेरिका जैसे देश ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगा रखे हैं। दुनिया के कई और देश रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा रहे हैं और उसकी कड़ी आलोचना भी कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर भारत अब तक यूक्रेन संकट को लेकर भारत ने पश्चिमी देशों की बार-बार अपील के बावजूद रूसी हमले की निंदा नहीं की है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि भारत ने ऐसा रूख क्यों अपना रखा है।

दरअसल भारत के इस रूख के पीछे सबसे बड़ी वजह है कि सैन्य हथियारों को लेकर रूस पर निर्भरता। अमेरिका भी इस बात को अच्छे से जानता है। इस वजह से उसने अब भारत को एक बड़ा ऑफर देने में देर नहीं की है। अमेरिका ने रूसी हथियारों की कड़ी आलोचना की है और कहा है कि भारत को रक्षा क्षेत्र में सहयोग करने के लिए उत्सुक है।
अमेरिका ने कहा है कि भारत को ये सोचने की जरूरत है कि क्या हथियारों के लिए रूस पर उसकी निर्भरता ठीक है क्योंकि रूस की लगभग 60 प्रतिशत मिसाइल काम करने की स्थिति में नहीं हैं। अमेरिका ने भारत से कहा है कि वो देखे कि रूस के हथियार युद्ध के मैदान में कितना खराब प्रदर्शन कर रहे हैं।
राजनीतिक मामलों पर अमेरिका की विदेश सचिव विक्टोरिया नुलैंड ने बुधवार को एक इंग्लिश से बातचीत में कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर उन्होंने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला से बात की है और अमेरिका भारत को रक्षा आपूर्ति के लिए रूस पर निर्भरता खत्म करने में मदद करने के लिए तैयार है।
Jubilee Post | जुबिली पोस्ट News & Information Portal
