जुबिली न्यूज डेस्क
दिल्ली के लालकिले के पास हुए हालिया कार धमाके के आरोपी डॉ. उमर नबी का नाम सामने आने के बाद, इंटेलिजेंस एजेंसियों ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी (फरीदाबाद) को लेकर एक और गंभीर खुलासा किया है। एजेंसियों की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह विश्वविद्यालय पहले भी संदिग्ध गतिविधियों से जुड़ा रहा है — यहां के पूर्व छात्रों में कई लोग आतंकी गतिविधियों में शामिल पाए गए हैं।

अफगानिस्तान में सक्रिय इंडियन मुजाहिदीन का सदस्य था छात्र
रिपोर्ट में बताया गया है कि मिर्ज़ा शादाब बेग, जो इंडियन मुजाहिदीन का सक्रिय सदस्य रहा है, उसी यूनिवर्सिटी से पढ़ा था।
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शादाब ने 2007 में अल-फलाह इंजीनियरिंग कॉलेज (जो बाद में यूनिवर्सिटी बना) से बीटेक (इलेक्ट्रॉनिक्स और इंस्ट्रूमेंटेशन) पूरा किया था।
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उसी साल अहमदाबाद में हुए सीरियल धमाकों में उसकी संलिप्तता सामने आई थी — यह दर्शाता है कि वह अपनी पढ़ाई के समय से ही आतंकी घटनाओं की योजनाओं में शामिल था।
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सूत्रों के मुताबिक, वर्तमान में शादाब अफगानिस्तान में है और वह अभी भी पकड़ा नहीं गया है।
यूनिवर्सिटी पर बढ़ी जांच की दरकार
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दिल्ली धमाके के बाद, इंटेलिजेंस एजेंसियों ने फरीदाबाद में स्थित इस यूनिवर्सिटी की गतिविधियों पर फिर से नजर डाली है।
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अल-फलाह कॉलेज की शुरुआत अल-फलाह स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग और टेक्नॉलॉजी के रूप में हुई थी। 2014 में इसे हरियाणा के प्राइवेट यूनिवर्सिटीज़ अमेंडमेंट एक्ट के तहत विश्वविद्यालय का दर्जा मिला।
अत्यंत गंभीर आतंकवादी घटनाओं में भूमिका
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2008 जयपुर धमाकों में शादाब का नाम आया था — बताया जाता है कि उसने विस्फोटकों के लिए जरूरी डेटोनेटर और बेयरिंग उपलब्ध कराए थे, जिनसे IED तैयार किए गए।
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अहमदाबाद–सूरत धमाकों से ठीक पहले वह शहर पहुंचा और पूरे शहर की रेकी की; तीन टीमों के साथ मिलकर उसने प्लानिंग, लॉजिस्टिक्स और बम निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाई।
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2007 गोरखपुर धमाकों में भी उसका नाम सामने आया था, जिनमें छः लोग घायल हुए थे। बाद में गोरखपुर पुलिस ने उसकी संपत्ति कुर्क कर दी थी, जब उसका इंडियन मुजाहिदीन से संबंध स्पष्ट हुआ।
अभी तक फरार, इनामी भी घोषित
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2008 में आतंकी नेटवर्क के खुलासे के बाद से मिर्ज़ा शादाब बेग फरार है।
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उस पर 1 लाख रुपये का इनाम है।
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सूत्रों के अनुसार, 2019 में वह अफगानिस्तान में था, लेकिन अब तक गिरफ्त में नहीं आया है।
डॉ. उमर नबी के नाम को अल-फलाह यूनिवर्सिटी के साथ जोड़कर देखने पर यह साफ होता है कि यह संस्थान सिर्फ शिक्षा का केन्द्र नहीं रहा है, बल्कि कुछ संदिग्ध और आतंकी गतिविधियों के लिए भी एक गढ़ बना हुआ है। इंटेलिजेंस एजेंसियों द्वारा किए गए इस खुलासे ने यूनिवर्सिटी और उसकी पूर्व छात्र गतिविधियों पर नए सिरे से जांच की मांग को मजबूत कर दिया है।
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अगर चाहें, तो मैं इस खबर के लिए परिणाम और संभावित भविष्य (यानि आगे क्या हो सकता है, जांच में क्या कदम हो सकते हैं) समेत विस्तार से लिख सकता हूँ — बताएं, करें?
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