- दिल्ली–एनसीआर में प्रदूषण चरम पर
- AQI लगातार खराब
- जानें क्या है वायु गुणवत्ता सूचकांक और इसका प्रभाव
इन दिनों दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण अपने बेहद खराब स्तर पर पहुँच गया है। कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) खतरनाक स्तर को पार कर चुका है। किसी भी शहर की हवा कितनी प्रदूषित है, इसे मापने के लिए AQI का इस्तेमाल किया जाता है। यह सूचकांक सरकारी एजेंसियों द्वारा तैयार किया जाता है और प्रदूषकों की मात्रा को मापकर यह निर्धारित करता है कि वायु गुणवत्ता बेहतर हो रही है या बिगड़ रही है।
AQI क्या होता है?
AQI यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स हवा में मौजूद प्रदूषण के स्तर को दर्शाने वाला सूचकांक है। इससे पता चलता है कि हम जिस हवा में सांस ले रहे हैं, वह कितनी शुद्ध या गंदी है। यह विभिन्न प्रदूषकों—जैसे PM2.5, PM10, NO₂, SO₂ आदि—की मात्रा के आधार पर वायु की गुणवत्ता तय करता है।

AQI की निगरानी कैसे की जाती है?
हवा की गुणवत्ता की निगरानी के लिए आज कई आधुनिक उपकरणों और तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। भारत में SAFAR जैसे ऐप की मदद से लोग अपने मोबाइल पर AQI जान सकते हैं। इसके अलावा सैटेलाइट चित्र और कंप्यूटर आधारित मॉडल भी प्रदूषण के स्तर और उसके पूर्वानुमान का विश्लेषण करते हैं। भारत में वायु गुणवत्ता की निगरानी की जिम्मेदारी नेशनल एयर मॉनिटरिंग प्रोग्राम (NAMP) संभालता है।
ध्यान देने वाली बात है कि कचरा, पराली और अन्य वस्तुओं को जलाने से भी वायु प्रदूषण अत्यधिक बढ़ जाता है।
AQI का आम लोगों की सेहत पर प्रभाव
खराब AQI का सीधा असर हमारी सांसों पर पड़ता है। प्रदूषित हवा से फेफड़ों व श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। हृदय रोगों का रिस्क भी बढ़ सकता है। बच्चों में कम उम्र में ही सांस संबंधी समस्याओं की संभावना बढ़ जाती है। लंबे समय तक प्रदूषित हवा में रहने से फेफड़ों की क्षमता कमजोर हो सकती है।
डिस्क्लेमर: प्रिय पाठक, इस खबर का उद्देश्य केवल जनजागरूकता बढ़ाना है। इसमें दी गई जानकारी सामान्य स्रोतों और घरेलू उपायों पर आधारित है। JUBILEE POST इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी स्वास्थ्य संबंधी सलाह को अपनाने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें।
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