जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली: दिल्ली के AIIMS में की गई एक साल की ऑटोप्सी‑आधारित स्टडी में यह सामने आया है कि COVID-19 वैक्सीनेशन का युवा वयस्कों में अचानक होने वाली मौतों से कोई संबंध नहीं है। यह स्टडी इंडियन जर्नल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (IJMR) में प्रकाशित हुई है।

स्टडी में 18 से 45 साल के युवाओं और 46 से 65 साल के वृद्धों में अचानक मौत के मामलों का विश्लेषण किया गया। कुल 2,214 ऑटोप्सी केसों में से 180 अचानक मौत के क्राइटेरिया पर खरे उतरे। इनमें युवाओं में अचानक मौत की संख्या 103 (57.2 प्रतिशत) और वृद्धों में 77 (42.8 प्रतिशत) थी।
मुख्य कारण:
स्टडी के मुताबिक़, युवाओं में मौत का सबसे आम कारण कार्डियोवैस्कुलर डिज़ीज़ (दिल की बीमारियां) था। इसके बाद सांस संबंधी रोग और अन्य नॉन‑कार्डियक स्थितियां थीं। युवाओं और वृद्धों में COVID-19 बीमारी का इतिहास और वैक्सीनेशन की स्थिति समान पाई गई।
AIIMS के प्रोफेसर डॉ. सुधीर अरावा ने बताया कि स्टडी का प्रकाशन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि कई गुमराह करने वाले दावे COVID-19 वैक्सीन और अचानक मौतों के बीच संबंध बताते रहे हैं। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक और सबूत आधारित रिसर्च ही लोगों की समझ और पब्लिक हेल्थ रणनीति को दिशा दे सकती है।
जानकारी के मुताबिक़:
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स्टडी में युवाओं में अचानक मौत की औसत उम्र 33.6 साल थी।
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पुरुष-महिला अनुपात 4.5:1 पाया गया।
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युवाओं में सबसे ज्यादा मौतें युवा कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़ (CAD) से हुईं।
हेल्थ एक्सपर्ट्स ने कहा कि अचानक मौतें अक्सर पहले से मौजूद मेडिकल कंडीशन से जुड़ी होती हैं, और इसके लिए स्क्रीनिंग, समय पर मेडिकल चेकअप और हेल्दी लाइफस्टाइल जरूरी है।
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इस स्टडी से स्पष्ट हो गया है कि COVID-19 वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है, और अचानक मौतों का मुख्य कारण हृदय संबंधी रोग और अन्य आंतरिक मेडिकल स्थितियां हैं।
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