Friday - 13 June 2025 - 10:59 AM

ईरान पर इजराइल के अटैक के बाद खामेनेई बोले-इज़राइल ने कर दी ऐतिहासिक भूल, अंजाम भुगतने को रहे तैयार

जुबिली स्पेशल डेस्क

ईरान और इज़राइल के बीच एक बार फिर तनाव चरम पर पहुंच गया है। दरअसल, शुक्रवार को इज़राइल ने ईरान के कई परमाणु और सैन्य ठिकानों पर बमबारी कर उन्हें तबाह करने का दावा किया है। ईरान ने इजरायल को करारा जवाब देते हुए 100 से ज्यादा ड्रोन के जरिए अटैक किया है। इजरायल ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला कर दिया था। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने इज़राइली हमले के बाद सख्त प्रतिक्रिया दी है। अपने आधिकारिक बयान में उन्होंने कहा कि “यहूदी शासन को इस दुस्साहस की भारी कीमत चुकानी होगी। ईरान इसका जवाब देने की पूरी तैयारी कर रहा है।”

खामेनेई ने आगे कहा, “जो लोग इस हमले में मारे गए हैं, उनकी जगह नए लोग तुरंत जिम्मेदारी संभालेंगे। हम अपनी रणनीति को अंतिम रूप दे रहे हैं। इज़राइल ने अपने इतिहास की सबसे बड़ी भूल कर दी है, और अब उसे इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।”

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरान की नतांज़ एनरिचमेंट फैसिलिटी को भी निशाना बनाया गया, जिसे अब पूरी तरह से नष्ट बताया जा रहा है। ईरान के एटॉमिक एनर्जी प्रमुख ने स्वयं इस बात की पुष्टि की है कि नतांज़ रिएक्टर अब पूरी तरह बर्बाद हो चुका है।

इस हमले के बाद अब इज़राइल पर ईरान के संभावित जवाबी हमले का खतरा मंडराने लगा है। नतांज़ न्यूक्लियर फैसिलिटी को ईरान की सबसे महत्वपूर्ण यूरेनियम संवर्धन साइट माना जाता है। यह राजधानी तेहरान से करीब 220 किलोमीटर दूर स्थित है। इस फैसिलिटी के कई हिस्से जमीन के नीचे बनाए गए थे ताकि हवाई हमलों से बचाव किया जा सके।

PHOTO : SOCIAL MEDIA

यहां सेंट्रीफ्यूज की कई कैस्केड्स लगी थीं, जिनके ज़रिए यूरेनियम को उच्च स्तर पर संवर्धित किया जाता था।

इस हमले में एक और बड़ी जानकारी सामने आई है कि ईरान के सबसे ताकतवर सैन्य अफसरों में से एक, मेजर जनरल हुसैन सलामी, की मौत हो गई है।

सलामी की मौत न सिर्फ एक पावरफुल जनरल का अंत है, बल्कि यह ईरानी सत्ता के एक महत्वपूर्ण स्तंभ के ढह जाने जैसा माना जा रहा है।

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उनके साथ कई अन्य शीर्ष सैन्य अधिकारी और वरिष्ठ परमाणु वैज्ञानिक भी मारे गए हैं। हुसैन सलामी वर्ष 2019 से ईरान की सबसे ताकतवर फोर्स – इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) – के प्रमुख थे। यह फोर्स केवल मिसाइल निर्माण तक सीमित नहीं है, बल्कि देश के भीतर विरोध को कुचलने से लेकर विदेशों में ईरानी रणनीतिक एजेंडा चलाने तक हर गतिविधि में अग्रणी भूमिका निभाती है। सीरिया, इराक, यमन और लेबनान जैसे देशों में ईरान की मौजूदगी और दखल में IRGC की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

जनरल सलामी का कद इतना ऊंचा था कि वे सीधे ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को रिपोर्ट करते थे। रणनीतिक योजनाएं हों, जवाबी कार्रवाई की रूपरेखा या फिर किसी गुप्त ऑपरेशन की मंजूरी—हर अहम फाइल सबसे पहले सलामी की मेज से होकर गुजरती थी।

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