जुबिली न्यूज डेस्क
आजादी के 78 साल बाद भी यूपी के बस्ती और संतकबीरनगर जिलों की सीमा पर बसे एक गांव के लोग अपनी पहचान के लिए संघर्ष कर रहे थे। लेकिन अब उनकी ये लड़ाई खत्म हो गई है। भरवलिया उर्फ टिकुइया गांव, जो पिछले 28 साल से दो जिलों के बीच फंसा हुआ था, आखिरकार बस्ती जिले में शामिल होने जा रहा है। ग्रामीणों ने आज इस फैसले का जश्न मनाया और कहा कि आज उन्हें असली आजादी मिली है।
गांव क्यों फंसा था दो जिलों के बीच?
1997 में बस्ती जिले के सृजन के समय राजस्व अधिकारियों की गलती से सीमांकन गलत कर दिया गया। नतीजा यह हुआ कि गांव बस्ती में स्थित होने के बावजूद कागजों में संतकबीरनगर जिले की घनघटा तहसील में दर्ज हो गया।
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लोकसभा और विधानसभा चुनाव में वोट डालने के लिए बस्ती जाना पड़ता था।
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पंचायत चुनाव के लिए संतकबीरनगर जाना होता था।
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आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, राशन कार्ड जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए ग्रामीणों को दो जिलों के चक्कर लगाने पड़ते थे।
गांव के विकास पर पड़ा असर
गांव के गुमनाम रहने से सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा था, न सड़कें थीं, न बिजली और न ही रोजगार के अवसर। युवा बेरोजगार हो रहे थे क्योंकि दस्तावेजों की गड़बड़ी के कारण सरकारी नौकरियों में दिक्कत आती थी।
कैसे मिला समाधान?
ग्रामीणों की लगातार शिकायत और मीडिया (ABP न्यूज़) की रिपोर्ट के बाद मंडलायुक्त अखिलेश सिंह ने दोनों जिलों के डीएम से रिपोर्ट मांगी। जांच में सच्चाई सामने आने के बाद:
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मंडलायुक्त ने भरवलिया गांव को बस्ती जिले में शामिल करने की सिफारिश की।
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शासन को अंतिम आदेश जारी करने के लिए प्रस्ताव भेज दिया गया है।
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अब गांव के सभी सरकारी अभिलेख बस्ती जनपद के सदर तहसील से बनेंगे।
गांव में जश्न का माहौल
स्वतंत्रता दिवस के दिन गांव के लोगों ने प्राइमरी स्कूल पर झंडारोहण किया और एक-दूसरे को मिठाई खिलाई। पूर्व प्रधान संतराम के नेतृत्व में ग्रामीणों ने कमिश्नर, डीएम और मीडिया को धन्यवाद दिया।
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अपर जिलाधिकारी का बयान
एडीएम प्रतिपाल सिंह चौहान ने कहा कि मंडलायुक्त के निर्देश पर फाइल शासन को भेज दी गई है। जल्द ही अंतिम आदेश जारी होगा और गांव को आधिकारिक तौर पर बस्ती जिले में शामिल कर लिया जाएगा।