Saturday - 6 December 2025 - 3:16 PM

100 साल बाद यूपी बोर्ड की कॉपियों में बड़ा बदलाव,देखें-डिटेल

जुबिली स्पेशल डेस्क

यूपी बोर्ड ने इस बार ऐसा ऐतिहासिक कदम उठाया है, जो पिछले 100 वर्षों में कभी नहीं हुआ। बोर्ड ने पहली बार हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की उत्तर पुस्तिकाओं (Copies) का पूरा लेआउट बदलने का फैसला किया है।

यह बदलाव सिर्फ दिखावे के लिए नहीं, बल्कि नकल रोकने, कॉपियों की अदला-बदली खत्म करने और छात्रों को बेहतर लेखन सुविधा देने के उद्देश्य से किया गया है।

52 लाख से ज्यादा छात्र होंगे परीक्षा में शामिल

2026 की यूपी बोर्ड परीक्षा 18 फरवरी से 12 मार्च के बीच आयोजित की जाएगी। इस बार लगभग 52.30 लाख से अधिक छात्र शामिल होंगे, जिनमें 10वीं के 27.5 लाख छात्र, 12वीं के करीब 25 लाख छात्र शामिल हैं।

इतनी बड़ी संख्या के लिए करीब 2 करोड़ 60 लाख नई कॉपियाँ तैयार की जा रही हैं, जिन्हें जनवरी तक सभी जिलों में भेज दिया जाएगा।

क्यों बदला गया कॉपियों का डिज़ाइन?

अब तक यूपी बोर्ड की कॉपियाँ चौड़ाई में बनाई जाती थीं, लेकिन 2026 से इन्हें लंबाई वाले फॉर्मेट में दिया जाएगा। इससे छात्रों को लिखने में ज्यादा जगह मिलेगी और उनका लेखन साफ और सुव्यवस्थित दिखेगा।

बोर्ड के सचिव भगवती सिंह के मुताबिक, नए लेआउट से कॉपियों की अदला-बदली लगभग असंभव हो जाएगी, जिससे नकल माफिया की रणनीतियाँ प्रभावित होंगी। हर कॉपी की अलग पहचान होगी और गड़बड़ियों को तुरंत पकड़ा जा सकेगा।

कॉपियों में रंग कोडिंग: हर क्लास के लिए अलग रंग

नकल रोकने और कॉपियों की पहचान आसान बनाने के लिए इस बार विशेष रंग कोडिंग की गई है:

  • 12वीं की A कॉपी – 24 पेज, पहला पेज मैजेंटा रंग में
  • 12वीं की B कॉपी – 12 पेज, हरा रंग
  • 10वीं की A कॉपी – 18 पेज, ब्राउन रंग
  • 10वीं की B कॉपी – 12 पेज, ग्रीन रंग

हर पन्ने पर माध्यमिक शिक्षा परिषद का मोनोग्राम, जिससे कॉपी डुप्लीकेट बनाना लगभग असंभव हो जाएगा। कॉपियों की छपाई प्रयागराज, लखनऊ, वाराणसी और रामपुर के सरकारी प्रेसों में की जा रही है, ताकि सुरक्षा और गुणवत्ता पर पूरा नियंत्रण रहे।

नकल विरोधी अभियान का सबसे मजबूत कदम

यूपी बोर्ड ने पिछले कुछ वर्षों में परीक्षा को नकलमुक्त बनाने के लिए कई तकनीकी प्रयास किए हैं—
जैसे हाईटेक परीक्षा केंद्र, CCTV निगरानी और स्कैन कॉपियों की जांच।

परंतु 2026 में कॉपी का लेआउट बदलना अब तक का सबसे बड़ा और प्रभावी कदम माना जा रहा है। इससे नकल माफिया के लिए कॉपी बदलना लगभग नामुमकिन हो जाएगा और परीक्षाओं में पारदर्शिता और बढ़ेगी।

एक सदी बाद बड़ा बदलाव

1921 में स्थापित यूपी बोर्ड ने 1923 में पहली बार परीक्षा कराई थी। तब से लेकर अब तक कॉपी के लेआउट में कोई बड़ा परिवर्तन नहीं हुआ था। लगभग 100 साल बाद पहली बार इस तरह का ऐतिहासिक बदलाव देखने को मिलेगा।

बोर्ड की ओर से 7448 परीक्षा केंद्रों की प्रोविजनल सूची जारी कर दी गई है। अंतिम सूची 30 दिसंबर 2025 को आएगी। वहीं, 2026 के प्रैक्टिकल एग्जाम जनवरी में संपन्न होंगे।

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