जुबिली स्पेशल डेस्क
भारत में हर नागरिक का वोट लोकतंत्र की नींव है, इसलिए मतदाता सूची को सटीक और अपडेट रखना बेहद जरूरी है। इसी मकसद से चुनाव आयोग ने देशभर में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) अभियान शुरू किया है।
इस अभियान के तहत घर-घर जाकर मतदाताओं की जांच की जा रही है और सूची को अपडेट किया जा रहा है। सरकार का कहना है कि यह कदम लोकतंत्र को मजबूत करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
लेकिन विपक्ष खासकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी इस अभियान को लेकर सरकार पर हमला कर रहे हैं। राहुल गांधी ने कहा कि यह सुधार नहीं बल्कि जनता पर बोझ डालने की कोशिश है।
उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि एसआईआर के कारण पूरे देश में अफरातफरी मची हुई है। उनके अनुसार पिछले तीन हफ्तों में 16 BLOs (बूथ लेवल अधिकारी) अपनी जान गंवा चुके हैं, जो इस बात का संकेत है कि अभियान बिना उचित योजना के शुरू किया गया।
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि भारत तकनीक और आधुनिक सॉफ्टवेयर के मामले में दुनिया में
अग्रणी है, लेकिन चुनाव आयोग अब भी नागरिकों से 22 साल पुरानी मतदाता सूची के स्कैन पन्ने पलटकर अपना नाम ढूंढ़ने को कह रहा है। उनका मानना है कि इस प्रक्रिया का उद्देश्य असली मतदाताओं को परेशान करना और वोट चोरी को आसान बनाना है। उन्होंने कहा कि अगर नीयत ईमानदार होती, तो मतदाता सूची डिजिटल और आसानी से खोजने योग्य बनाई जाती।
राहुल गांधी ने इसे लोकतंत्र की रक्षा के बजाय सत्ता की रक्षा का तरीका बताया। उन्होंने कहा कि BLOs पर इतना दबाव डाला जा रहा है कि उनकी मौतों को सामान्य घटना मानकर अनदेखा किया जा रहा है। इसके अलावा उन्होंने इस पूरे अभियान में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को चिंता का विषय बताया।
उत्तर प्रदेश में SIR अभियान: सख्ती और FIR
SIR अभियान का दूसरा चरण उत्तर प्रदेश में चल रहा है। नोएडा में 60 से ज्यादा BLOs और सात पर्यवेक्षकों पर FIR दर्ज की जा चुकी है।
आरोप है कि ये कर्मचारी ड्यूटी पर नहीं पहुंचे या वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों का पालन नहीं किया। बहराइच से भी खबरें आई हैं कि दो BLOs को निलंबित किया गया और एक के खिलाफ आपराधिक रिपोर्ट दर्ज की गई। प्रशासन का कहना है कि मतदाता सूची को सुधारना बेहद महत्वपूर्ण काम है, इसलिए किसी भी लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
BLO की भूमिका और दबाव
SIR अभियान में BLO की जिम्मेदारी सबसे अहम है। उन्हें घर-घर जाकर मतदाताओं के फॉर्म भरवाने, दस्तावेज़ों की जांच करने, रिकॉर्ड मिलान करने और गलत प्रविष्टियों को हटाने जैसे कार्य करने पड़ते हैं।
यह सब सीमित समय में करना होता है, जिससे BLO पर दबाव बढ़ जाता है। कई जगहों से यह भी खबर आई है कि कर्मचारियों को लंबे समय तक बिना आराम के काम करना पड़ रहा है।
लखनऊ में एक BLO की मौत को भी अधिक काम और तनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। प्रशासन का कहना है कि यह कार्य लोकतंत्र की प्रक्रिया के लिए जरूरी है।
SIR फेज-II में बढ़ी जिम्मेदारी
इस बार का स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन पिछले चरणों से अलग है। इसमें BLOs को:
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मतदाता फॉर्म की जानकारी का पुरानी मतदाता सूची से मिलान करना,
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फॉर्म-6, फॉर्म-8 और अन्य आवश्यक दस्तावेज मौके पर पूरा करवाना,
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घर-घर जाकर वास्तविक मतदाताओं का रिकॉर्ड अपडेट करना,
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डुप्लीकेट, मृतक या गलत प्रविष्टियों को हटाकर सूची को सटीक बनाना होता है।
इस अभियान के चलते मतदाता सूची को सटीक बनाने का काम तेजी से चल रहा है, लेकिन इसे लेकर राजनीति और जनता में चिंता भी बढ़ रही है।
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अग्रणी है, लेकिन चुनाव आयोग अब भी नागरिकों से 22 साल पुरानी मतदाता सूची के स्कैन पन्ने पलटकर अपना नाम ढूंढ़ने को कह रहा है। उनका मानना है कि इस प्रक्रिया का उद्देश्य असली मतदाताओं को परेशान करना और वोट चोरी को आसान बनाना है। उन्होंने कहा कि अगर नीयत ईमानदार होती, तो मतदाता सूची डिजिटल और आसानी से खोजने योग्य बनाई जाती।