Wednesday - 19 November 2025 - 8:09 AM

बिहार में स्पीकर पद पर मचा संग्राम, BJP–JDU के बीच बढ़ी खींचतान

जुबिली स्पेशल डेस्क

पटना। बिहार में नई सरकार के गठन से पहले राजनीतिक हलचल चरम पर है। सबसे ज्यादा रस्साकशी विधानसभा स्पीकर के पद को लेकर देखने को मिल रही है।

राजनीतिक जानकार इसे “सीएम का खेल और स्पीकर की भूमिका” बताते हैं, क्योंकि यह पद सिर्फ सम्मान का नहीं, बल्कि सत्ता संतुलन और रणनीति का मजबूत आधार बन चुका है। माहौल साफ है   “जिसका स्पीकर, उसका खेल”।

BJP और JDU दोनों क्यों चाहती हैं स्पीकर की कुर्सी?

नीतीश कुमार के दसवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ से पहले ही BJP और JDU दोनों की नजरें स्पीकर पद पर टिकी हैं।

वर्तमान में स्पीकर बीजेपी का है, लेकिन JDU का तर्क है कि विधान परिषद के सभापति का पद बीजेपी के पास होने के कारण विधानसभा अध्यक्ष पद उन्हें मिलना चाहिए।

वहीं BJP का कहना है कि चूंकि मुख्यमंत्री JDU से हैं, इसलिए स्पीकर पद पर बीजेपी का अधिकार बनता है।यानी मुख्यमंत्री की कुर्सी JDU के पास और स्पीकर की कुर्सी BJP के पास यही बीजेपी की रणनीति नजर आ रही है।

स्पीकर का पद इतना अहम क्यों?

संविधान के आर्टिकल 178 के तहत स्पीकर विधानसभा का सर्वोच्च पीठासीन पद है।
स्पीकर की प्रमुख भूमिकाएँ:

  • सदन की कार्यवाही संचालित करना
  • विपक्ष के नेता को मान्यता देना
  • आवश्यक होने पर गुप्त बैठक बुलाना
  • विधायकों के अनुशासन पर कार्रवाई करना
  • अविश्वास प्रस्ताव, निंदा प्रस्ताव आदि की अनुमति देना

सबसे महत्वपूर्ण दल-बदल कानून (1985) के तहत स्पीकर के पास यह अधिकार है कि वह किसी विधायक को अयोग्य घोषित कर सकता है।
गठबंधन सरकारों में यह अधिकार सत्ता संतुलन में बहुत बड़ा हथियार माना जाता है, क्योंकि छोटे दलों के विधायकों के टूटने की संभावना हमेशा बनी रहती है।

दोनों दल क्यों झोंक रहे पूरी ताकत?

JDU के लिए स्पीकर की कुर्सी अपने विधायकों को सुरक्षित रखने और बीजेपी की रणनीतिक बढ़त को सीमित करने का तरीका है।

वहीं BJP इस पद को भविष्य की सरकार-निर्माण रणनीति के रूप में देख रही है। अगर आगे राजनीतिक समीकरण बदलते हैं तो स्पीकर की कुर्सी बीजेपी के लिए निर्णायक सिद्ध हो सकती है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मुख्यमंत्री और स्पीकर का तालमेल गठबंधन सरकार की मजबूती के लिए बेहद जरूरी होता है। भरोसेमंद स्पीकर होने से विधायकों के विचलन की आशंका कम होती है। यही कारण है कि स्पीकर के चुनाव से पहले ही BJP और JDU पूरी तरह एक्टिव हो चुके हैं। आने वाले दिनों में इस पद को लेकर राजनीति और तेज होने की संभावना है।

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