जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली: जांच एजेंसियों को जैश-ए-मोहम्मद के फिदायीन मॉड्यूल से जुड़े पकड़े गए डॉक्टरों के मोबाइल फोन में बड़े और चौंकाने वाले सबूत मिले हैं। फॉरेंसिक जांच में सिग्नल ऐप पर एक ग्रुप का पता चला, जिसका एडमिन फरार मॉड्यूल सरगना डॉक्टर मुज़फ़्फ़र था। इस ग्रुप में डॉक्टर उमर, डॉक्टर मुजम्मिल, डॉक्टर आदिल और डॉक्टर शाहीन भी शामिल थे।

जांच अधिकारियों के अनुसार, डॉक्टर उमर मॉड्यूल में सबसे अहम भूमिका निभा रहा था। अमोनियम नाइट्रेट, ट्रायएसिटोन ट्राइपरॉक्साइड (TATP) और अन्य केमिकल की खरीद से लेकर विस्फोटक तैयार करने तक की सारी जानकारी ग्रुप में साझा की जाती थी। डिजिटल फुटप्रिंट्स से पता चला कि विस्फोटक केमिकल और टाइमर, वायर जैसी डिवाइसों की खरीद उमर ने ही की।
डॉक्टर मुजम्मिल की जिम्मेदारी इन विस्फोटकों को सुरक्षित रखना थी। स्टॉक उनके किराए के घर में शिफ्ट किया जाता और मुजम्मिल इसकी तस्वीरें ग्रुप में भेजता, ताकि यह पुष्टि हो सके कि सामान सुरक्षित है। वहीं, मॉड्यूल द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली आई20 कार की जानकारी भी डॉक्टर उमर ने ग्रुप में साझा की।
पूछताछ में फैसल इशाक भट्ट का नाम भी सामने आया है, जो इस मॉड्यूल का हैंडलर बताया जा रहा है। जांच में पता चला कि विस्फोटक इकट्ठा करने, उसकी तैयारी और टेस्टिंग की जानकारी सीधे फैसल इशाक भट्ट को भेजी जाती थी। शुरुआती आकलन के अनुसार, फैसल इशाक भट्ट नाम एक छद्म नाम है और पाकिस्तानी जैश नेटवर्क ने इसे स्थानीय बनाने के लिए इस्तेमाल किया।
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एजेंसियों के अनुसार, अब तक चार पाकिस्तानी हैंडलरों के नाम सामने आए हैं: अबू उक़ाशा, हंजुल्लाह, निसार और फैसल इशाक भट्ट। फरार सरगना मुज़फ़्फ़र के अफ़ग़ानिस्तान जाने के बाद पूरे मॉड्यूल की रिपोर्टिंग और संचालन की जिम्मेदारी इन्हीं हैंडलरों के पास है। जांच एजेंसियां अब इन हैंडलरों की असली पहचान और मॉड्यूल के नेटवर्क को उजागर करने में जुटी हुई हैं।
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