जुबिली न्यूज डेस्क
रोहित आर्या मामले में महाराष्ट्र सरकार ने शुक्रवार को एक बड़ा बयान जारी करते हुए कहा कि अफसरा मीडिया एंटरटेनमेंट नेटवर्क्स और स्वच्छता मॉनिटर प्रोजेक्ट का राज्य के शालेय शिक्षा विभाग से कोई संबंध नहीं था। सरकार ने स्पष्ट किया कि यह प्रोजेक्ट निजी स्तर पर चलाया जा रहा था और इसकी कोई आधिकारिक स्वीकृति शासन से नहीं ली गई थी।

क्या है मामला?
बता दें कि कुछ दिन पहले रोहित आर्या ने पवई (Powai) स्थित एक ऑडिशन थिएटर में 17 किशोरों को बंधक बना लिया था।पुलिस की कार्रवाई के दौरान गोली लगने से रोहित आर्या की मौत हो गई। मृत्यु से पहले उसने एक वीडियो बयान जारी किया था, जिसमें उसने दावा किया था कि सरकार पर उसके 2 करोड़ रुपये बकाया हैं। इस वीडियो के वायरल होने के बाद शिक्षा विभाग ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर स्थिति स्पष्ट की।
सरकार का स्पष्टीकरण
सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया कि:“स्वच्छता मॉनिटर प्रोजेक्ट वर्ष 2021 में कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) के तहत शुरू किया गया था। उस समय सरकार ने केवल 9 लाख रुपये की मंजूरी दी थी।
बाद में वर्ष 2023-24 में ‘माझी शाळा सुंदर शाळा कार्यक्रम’ के अंतर्गत 2 करोड़ रुपये के स्वच्छता मॉनिटर 2.0 प्रोजेक्ट का प्रस्ताव रखा गया था, लेकिन सरकार की तरफ से इसे स्वीकृति नहीं दी गई थी।”
सरकार ने यह भी कहा कि रोहित आर्या और उसके संगठन ने बिना सरकारी अनुमति के अपने स्तर पर प्रोजेक्ट चलाया और कई स्कूलों को इससे जोड़ा।
“सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं”
शालेय शिक्षण विभाग ने यह स्पष्ट किया कि “अफसरा मीडिया एंटरटेनमेंट नेटवर्क्स संस्था को किसी भी शैक्षणिक संस्था से धन लेने का अधिकार नहीं दिया गया था।
शासन की मंजूरी के बिना चल रहे इस प्रोजेक्ट की वित्तीय या प्रशासनिक गड़बड़ियों के लिए सरकार जिम्मेदार नहीं है।
दिवंगत रोहित आर्या से संबंधित घटना का शासन या विभाग से कोई संबंध नहीं है।”
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रोहित आर्या का संगठन ‘अफसरा मीडिया एंटरटेनमेंट नेटवर्क्स’ शिक्षा और स्वच्छता से जुड़े प्रोजेक्ट्स चलाने का दावा करता था। उसने कई बार सरकारी साझेदारी का हवाला दिया था, जिसके बाद इस मामले में भ्रम की स्थिति बनी। सरकार के इस बयान के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि प्रोजेक्ट निजी था और सरकार की मंजूरी के बिना चलाया जा रहा था।
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