जुबिली स्पेशल डेस्क
कर्नाटक कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बेटे यतींद्र सिद्धारमैया ने अपने बयान से नया राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने वरिष्ठ मंत्री सतीश जरकीहोली को अपने पिता का राजनीतिक उत्तराधिकारी बनाने का सुझाव दिया है।
यह बयान उस समय आया है जब राज्य में नवंबर महीने में संभावित मंत्रिमंडल फेरबदल और “नवंबर क्रांति” को लेकर सियासी हलचल तेज़ है।
यतींद्र का बयान बना चर्चा का विषय
बेलगावी में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यतींद्र ने कहा कि उनके पिता सिद्धारमैया अब अपने राजनीतिक जीवन के अंतिम चरण में हैं। उन्होंने कहा,“अब समय है कि एक ऐसे नेता को आगे लाया जाए जो प्रगतिशील सोच और वैचारिक रूप से मजबूत दिशा दे सके। सतीश जरकीहोली ऐसे ही नेता हैं — सिद्धांतों के प्रति समर्पित और ईमानदार।”
हालांकि बाद में मीडिया से बातचीत में यतींद्र ने स्पष्ट किया कि उनके बयान को नेतृत्व परिवर्तन से जोड़कर न देखा जाए। उन्होंने कहा कि ऐसी चर्चाएं महज अटकलें हैं।
नवंबर में फेरबदल की अटकलें
कर्नाटक में कांग्रेस सरकार इस साल नवंबर में अपने कार्यकाल का आधा हिस्सा पूरा करने जा रही है। इसी को लेकर यह अटकलें हैं कि उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार को सरकार के अगले चरण के लिए मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। इस चर्चा को ही राजनीतिक गलियारों में “नवंबर क्रांति” कहा जा रहा है।
हालांकि कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने साफ कर दिया है कि राज्य नेतृत्व में किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया जाएगा।
शिवकुमार का जवाब-“पार्टी जो कहेगी, वही करेंगे”
उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने नेतृत्व परिवर्तन पर किसी भी टिप्पणी से बचते हुए कहा,“मैं नहीं चाहता कि कोई मेरे बारे में चर्चा करे। सिद्धारमैया और मैं दोनों पार्टी के निर्देशों का पालन कर रहे हैं और साथ मिलकर काम करेंगे।”
शिवकुमार ने हाल में यह भी कहा था कि सत्ता-साझेदारी (पावर शेयरिंग) को लेकर गैर-जिम्मेदार बयानबाज़ी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
मई 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बड़ी जीत मिली थी। मुख्यमंत्री पद को लेकर सिद्धारमैया और डी.के. शिवकुमार के बीच खींचतान सामने आई थी। अंततः आलाकमान के हस्तक्षेप से दोनों के बीच समझौता हुआ — सिद्धारमैया मुख्यमंत्री बने और शिवकुमार को उपमुख्यमंत्री पद मिला। अब आधे कार्यकाल के नज़दीक आते ही, राज्य की राजनीति एक बार फिर सियासी उथल-पुथल के दौर में प्रवेश करती दिख रही है।