- बिहार चुनाव 2025: महिला वोट बैंक पर एनडीए-महागठबंधन की नजर
- टिकट बंटवारे में फिर हुई उपेक्षा
जुबिली स्पेशल डेस्क
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में इस बार भी महिला मतदाता सबसे बड़ा फैक्टर बनकर उभर रही हैं। करीब 3.41 करोड़ महिला वोटर्स वाले राज्य में सत्ता की कुंजी “आधी आबादी” के हाथ में मानी जा रही है।
यही कारण है कि एनडीए और महागठबंधन दोनों ही महिला वोट बैंक को लुभाने में पूरी ताकत झोंक चुके हैं, लेकिन जब बात टिकट बंटवारे की आई तो महिलाओं को एक बार फिर सीमित हिस्सेदारी पर ही संतोष करना पड़ा।
राजद ने 24 महिलाओं को दिया टिकट
महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) 143 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जिसमें से केवल 24 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है।
यानी कुल उम्मीदवारों का लगभग 16 फीसदी। मोहनियां से राजद की एक महिला प्रत्याशी का नामांकन रद्द होने के बाद यह संख्या और घट गई है।
कांग्रेस ने भी नहीं दिखाई उदारता
महागठबंधन की सहयोगी कांग्रेस पार्टी 61 सीटों पर चुनाव मैदान में है। उसने सिर्फ 5 महिलाओं को टिकट दिया है, जो कि 8 फीसदी से भी कम है।
एनडीए में भी महिलाओं को सीमित मौका
दूसरी ओर एनडीए गठबंधन में शामिल जेडीयू और बीजेपी दोनों ही 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं। इन दोनों दलों ने क्रमशः 13-13 महिलाओं को टिकट दिया है।
चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोकमत पार्टी (RLM) ने भी 6-6 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।वहीं जीतन राम मांझी की हम (H.A.M.) पार्टी ने अपनी6 सीटों में से 2 महिलाओं को टिकट दिया है दोनों ही उनके परिवार से जुड़ी हैं।
कुल मिलाकर, बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से एनडीए ने करीब 35 और महागठबंधन ने 29 महिला उम्मीदवार उतारे हैं। यानी किसी भी पार्टी ने 33% महिला आरक्षण नीति को अपनाने की हिम्मत नहीं दिखाई।
महिलाओं को लुभाने के लिए योजनाओं की बौछार
टिकट में कम जगह मिलने के बावजूद महिला वोटर्स को साधने की कोशिशें तेज हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल में मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत 1.21 करोड़ महिलाओं के खाते में 10 हजार रुपये ट्रांसफर कर राजनीतिक मास्टरस्ट्रोक खेला है। इससे पहले उन्होंने आंगनबाड़ी सेविकाओं और रसोइयों का मानदेय बढ़ाकर भी महिला वर्ग को संदेश देने की कोशिश की।
वहीं विपक्ष की ओर से तेजस्वी यादव ने महिलाओं के लिए बड़े वादे किए हैं। उन्होंने ऐलान किया है कि सरकार बनने पर जीविका दीदियों को स्थायी सरकारी कर्मचारी का दर्जा मिलेगा और हर महीने 30 हजार रुपये सैलरी दी जाएगी। साथ ही उन्होंने हर परिवार में एक सरकारी नौकरी देने का वादा दोहराया है।
आधी आबादी पर दांव, नतीजे तय करेंगे भविष्य
बिहार के हालिया चुनावी इतिहास में महिला मतदाता निर्णायक भूमिका निभाती आई हैं। 2020 के चुनाव में भी महिला वोटिंग प्रतिशत पुरुषों से ज्यादा रहा था।
ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बार महिलाएं विकास योजनाओं से संतुष्ट नीतीश कुमार पर भरोसा जताती हैं या रोजगार और सम्मान की बात करने वाले तेजस्वी यादव को मौका देती हैं।फिलहाल इतना तय है कि 2025 का बिहार चुनाव “महिला बनाम महिला” रणनीति में तब्दील हो गया है।