जुबिली न्यूज डेस्क
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, सियासी हलचल तेज होती जा रही है। एक ओर गठबंधन दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर मंथन जारी है, तो दूसरी ओर नए चेहरे और दल बदलने की सुगबुगाहट से राजनीतिक माहौल गरमा गया है। इसी बीच जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने अपने उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी कर दी है। इस लिस्ट में 65 उम्मीदवारों के नाम शामिल किए गए हैं, जिनमें 7 वकील, 9 डॉक्टर और 4 इंजीनियर हैं।

भागलपुर से अभयकांत झा को मिला टिकट
दूसरी लिस्ट में सबसे ज्यादा चर्चा भागलपुर सीट से जनसुराज उम्मीदवार अभयकांत झा को टिकट मिलने की हो रही है। अभयकांत झा भागलपुर सिविल कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं और बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।उन्होंने 1989 के भागलपुर दंगा पीड़ितों का केस मुफ्त में लड़कर शहर में एक न्यायप्रिय और समाजसेवी छवि बनाई थी। उस समय उन्होंने मुस्लिम पक्ष के करीब 880 लोगों की मदद की थी।
74 वर्षीय अभयकांत झा लंबे समय से जनसुराज के भागलपुर जिला कोऑर्डिनेटर के रूप में सक्रिय रहे हैं। प्रशांत किशोर ने पहली बार उन्हें विधानसभा चुनाव में मौका दिया है।
पीके की रणनीति — ब्राह्मण और मुस्लिम वोट बैंक पर नजर
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि प्रशांत किशोर ने भागलपुर सीट पर अभयकांत झा को टिकट देकर ब्राह्मण और मुस्लिम समुदाय दोनों को साधने की कोशिश की है।भागलपुर सीट पर करीब 26 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है। वहीं अभयकांत झा ब्राह्मण समाज से आते हैं और न्याय के लिए उनकी साख दोनों समुदायों में मजबूत रही है।विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम प्रशांत किशोर की ‘समाज आधारित राजनीति’ की रणनीति का हिस्सा है, जिसके जरिए वे पारंपरिक वोट बैंक की राजनीति से हटकर नया संदेश देना चाहते हैं।
भागलपुर दंगे की पृष्ठभूमि
24 अक्टूबर 1989 को भागलपुर में विश्व हिंदू परिषद की राम शिला पूजन यात्रा के दौरान सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी।यात्रा के दौरान भड़काऊ नारे लगाए गए और देखते ही देखते पूरे शहर में तनाव फैल गया। पुलिस फायरिंग के बाद अफवाहों ने आग में घी डालने का काम किया।दंगे में सैकड़ों लोग मारे गए और हजारों लोगों को पलायन करना पड़ा। बताया जाता है कि 116 मुसलमानों को मारकर खेत में दफनाया गया था और ऊपर से गोभी की खेती कर दी गई थी।
भागलपुर सीट पर मुकाबला दिलचस्प
वर्तमान में भागलपुर से कांग्रेस के अजीत शर्मा विधायक हैं, जबकि पिछली बार जेडीयू के अजय कुमार मंडल दूसरे स्थान पर रहे थे।यह सीट हमेशा से हाई प्रोफाइल और मुकाबले वाली सीट मानी जाती रही है। अब जनसुराज के उम्मीदवार के रूप में अभयकांत झा के उतरने से मुकाबला और दिलचस्प हो गया है।स्थानीय लोगों का मानना है कि अगर जनसुराज यहां मजबूत चुनाव अभियान चलाती है, तो यह सीट त्रिकोणीय मुकाबले में बदल सकती है।
प्रशांत किशोर का नया प्रयोग
प्रशांत किशोर लगातार दावा कर रहे हैं कि उनकी पार्टी बिहार को पारंपरिक राजनीति से बाहर निकालकर नई सोच और ईमानदारी की राजनीति लाना चाहती है। उनकी दूसरी लिस्ट में डॉक्टरों, वकीलों और समाजसेवियों को जगह देकर उन्होंने एक बार फिर ये दिखाने की कोशिश की है कि जनसुराज ‘साफ़ छवि और समाजसेवी उम्मीदवारों’ को आगे बढ़ा रहा है।
ये भी पढ़ें-तुर्की राष्ट्रपति की ‘नो-स्मोकिंग’ सलाह पर इटली PM जॉर्जिया मेलोनी का जवाब वायरल
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में जनसुराज की एंट्री से सियासी मुकाबला और रोचक हो गया है। भागलपुर से अभयकांत झा की उम्मीदवारी न सिर्फ राजनीतिक संदेश दे रही है, बल्कि यह भी दिखा रही है कि प्रशांत किशोर अब जातीय समीकरण से ऊपर उठकर न्याय, समाज सेवा और पारदर्शिता की राजनीति पर भरोसा कर रहे हैं।
Jubilee Post | जुबिली पोस्ट News & Information Portal
