जुबिली न्यूज डेस्क
अयोध्या। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा जैसे ऐतिहासिक आयोजन के दौरान किए गए विकास कार्यों में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताओं के सबूत सामने आए हैं। 2023-24 की लेखा परीक्षा रिपोर्ट में अयोध्या नगर निगम के कई अफसरों और जनप्रतिनिधियों के नाम शामिल हैं, जिन पर करोड़ों की गड़बड़ी का आरोप लगा है।

रिपोर्ट के अनुसार, नगर आयुक्त रहे विशाल सिंह (जो फिलहाल प्रदेश के सूचना निदेशक हैं), संतोष कुमार शर्मा, महापौर गिरीशपति त्रिपाठी और वित्त एवं लेखाधिकारी नरेंद्र प्रताप सिंह का भी जिक्र किया गया है।
ठेकों में भारी गड़बड़ी, भुगतान में मनमानी
ऑडिट रिपोर्ट में सामने आए कुछ प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं —
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ट्रैफिक लाइट घोटाला: ट्रैफिक लाइट लगाने के नाम पर 4.46 करोड़ रुपये से अधिक का अतिरिक्त भुगतान किया गया।
रिपोर्ट में बताया गया है कि केवल 19 जगहों पर लाइट लगाई गईं, जबकि 22 स्थानों का भुगतान दिखाया गया। -
एडवांस धनराशि का समायोजन नहीं: एडवांस के रूप में दी गई 2.18 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का अब तक कोई समायोजन नहीं किया गया। बार-बार आपत्ति दर्ज होने के बावजूद इस पर कार्रवाई नहीं हुई।
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बकाया ठेका धनराशि जमा नहीं: ठेकेदारों से 2.77 करोड़ रुपये से अधिक की राशि वसूल नहीं की गई, जिससे नगर निगम को सीधा नुकसान हुआ।
सफाई, सिक्योरिटी और भुगतान में हेरफेर
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सफाई कार्य में फर्जीवाड़ा: सफाई कार्य को 15.5 किमी सड़क पर दिखाना था, लेकिन बिल में 28 किमी सफाई दर्शाकर 96.25 लाख रुपये का अधिक भुगतान कर दिया गया।
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बिना कार्यादेश के भुगतान: अनुबंध की तारीख से पहले ही 1.31 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान कर दिया गया। यह पूरा भुगतान बिना कार्यादेश के किया गया।
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सिक्योरिटी सर्विस घोटाला: बिना कार्यादेश के ही सिक्योरिटी सर्विस के नाम पर 1.31 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया।
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बोगस जमा: लगभग 81.97 लाख रुपये की धनराशि खाते से गायब बताई गई है, जिसे “बोगस जमा” के रूप में दर्शाया गया है।
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GST और बिल में अनियमितता: बिना GST बिल के ही 52.52 लाख रुपये का भुगतान कर दिया गया। वहीं, सामग्री आपूर्ति में 36.51 लाख रुपये का भुगतान बिना मात्रा और दर तय किए किया गया।
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श्रमिक भुगतान में गड़बड़ी: प्राण प्रतिष्ठा के दौरान सफाई कर्मियों को स्वीकृत दर से अधिक भुगतान कर 12.66 लाख रुपये का नुकसान किया गया।
साथ ही, श्रमिकों की संख्या “मनमाने ढंग” से बढ़ाकर 33.52 लाख रुपये से अधिक का दुरुपयोग किया गया।
टेंडर प्रक्रिया से बचने के लिए तोड़-फोड़ की गई
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि एक ही प्रकृति के कामों को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर कराया गया, ताकि टेंडर प्रक्रिया से बचा जा सके। यह नियमों का खुला उल्लंघन माना गया है।
उच्च स्तरीय जांच की मांग
ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि इन मामलों में “धन का दुरुपयोग” और “व्यक्तिगत लाभ के उद्देश्य से भुगतान” की आशंका है। इसलिए, उच्च स्तरीय जांच और प्रभावी कार्यवाही की सिफारिश की गई है।
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अब कार्रवाई पर निगाहें
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा जैसे ऐतिहासिक आयोजन से जुड़ी इस वित्तीय गड़बड़ी ने प्रशासनिक हलकों में हलचल मचा दी है। विपक्ष ने भी इस मुद्दे पर सरकार से जवाब मांगा है।अब देखना यह होगा कि यूपी सरकार इस रिपोर्ट पर क्या कदम उठाती है — और क्या जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई सख्त कार्रवाई होती है या नहीं।
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