जुबिली न्यूज डेस्क
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों के ऐलान को कई दिन बीत चुके हैं, लेकिन एनडीए (NDA) की ओर से अब तक सीट बंटवारे (Seat Sharing) पर औपचारिक ऐलान नहीं हो सका है। गठबंधन के अंदर घटक दलों में सीटों को लेकर रस्साकशी तेज हो गई है।
लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास पासवान) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान तथा हिन्दुस्तान अवाम मोर्चा (हम-सेक्युलर) के संस्थापक जीतन राम मांझी अपनी-अपनी पार्टी के लिए अधिक सीटों की मांग पर अड़े हुए हैं।
सूत्रों का दावा – चिराग 28 से 30 सीटों पर राजी हो सकते हैं
सूत्रों के अनुसार, चिराग पासवान कुछ शर्तों के साथ 28 से 30 सीटों पर समझौता करने को तैयार हैं।
उन्हें मनाने की जिम्मेदारी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय को सौंपी गई है। इसी सिलसिले में नित्यानंद राय गुरुवार दोपहर चिराग के पटना स्थित आवास पहुंचे।
हालांकि, उनके पहुंचने से करीब 15 मिनट पहले ही चिराग पासवान घर से निकल चुके थे। उनकी अनुपस्थिति में नित्यानंद राय ने चिराग की मां से मुलाकात की। मुलाकात के बाद उन्होंने कहा —“मेरे और चिराग के अभिभावक इसी घर में हैं, मैं उनका आशीर्वाद लेने आया था। किसने कहा कि चिराग नाराज हैं?”
चिराग की सीटों के साथ राज्यसभा और MLC की भी मांग
विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक, चिराग पासवान केवल विधानसभा सीटें ही नहीं बल्कि राज्यसभा की एक सीट और एक MLC सीट की भी मांग कर रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि चिराग ने जिन 5 विधानसभा सीटों पर अपनी दावेदारी पेश की है, उनमें शामिल हैं —
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लालगंज
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दानापुर
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गोविंदगंज
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मटिहानी
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बखरी
इनमें से लालगंज, गोविंदगंज, बखरी और दानापुर सीटें वर्तमान में बीजेपी के पास हैं, जबकि मटिहानी सीट पिछली बार जेडीयू (JD(U)) ने जीती थी।
पहले यह खबर थी कि चिराग कम से कम 45 सीटों की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब वे घटकर 28-30 सीटों पर सहमत हो सकते हैं।अंतिम निर्णय लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास पासवान) की आंतरिक बैठक के बाद लिया जाएगा।
मांझी ने भी रखी 15 सीटों की मांग
दूसरी ओर, एनडीए के एक अन्य घटक दल हिन्दुस्तान अवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी भी सीट शेयरिंग को लेकर असंतुष्ट हैं।उन्होंने बुधवार को बयान देते हुए कहा —“मैं किसी तरह का दावा नहीं, बल्कि अनुरोध कर रहा हूं कि हमारी पार्टी को सम्मानजनक संख्या में सीटें दी जाएं। अगर हमें 15 सीटें मिलती हैं तो हम 8-9 सीटें आसानी से जीत सकते हैं और मान्यता प्राप्त पार्टी बन सकते हैं।”
मांझी ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी को बने 10 साल से अधिक का समय हो गया है, लेकिन अब तक वह मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल नहीं बन सकी है।इसलिए वे चाहते हैं कि एनडीए में उन्हें 15 सीटों का कोटा दिया जाए, ताकि वे स्वतंत्र रूप से अपनी राजनीतिक पहचान मजबूत कर सकें।
एनडीए में बढ़ी सीट बंटवारे की खींचतान
सूत्रों की मानें तो बीजेपी नेतृत्व चिराग पासवान को सीमित सीटें देकर उन्हें संतुष्ट करने की कोशिश कर रहा है, वहीं मांझी को मनाने के लिए भी बातचीत जारी है।जेडीयू (JD(U)) और बीजेपी के बीच पहले से तय सीटों के बाद बची हुई सीटों पर छोटे दलों को हिस्सेदारी देने की प्रक्रिया में देरी हो रही है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर जल्द सहमति नहीं बनती, तो चुनाव प्रचार में तालमेल बिगड़ सकता है।
राजनीतिक समीकरण और एनडीए की रणनीति
बिहार में इस बार मुकाबला एनडीए बनाम इंडिया गठबंधन (I.N.D.I.A) के बीच है। बीजेपी और जेडीयू को भरोसा है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और केंद्र की नीतियों के चलते उन्हें बढ़त मिलेगी, जबकि विपक्ष महंगाई, बेरोजगारी और सामाजिक न्याय के मुद्दे उठा रहा है।
एनडीए नेतृत्व चाहता है कि सीट बंटवारे का ऐलान अक्टूबर के मध्य तक कर दिया जाए ताकि प्रत्याशियों की घोषणा और प्रचार अभियान में देर न हो।
एनडीए में सुलह की कोशिशें जारी
फिलहाल एनडीए के घटक दलों के बीच सीट शेयरिंग पर बातचीत तेज हो गई है। नित्यानंद राय, चिराग पासवान और जीतन राम मांझी के बीच लगातार संपर्क बना हुआ है। अब सबकी नजर इस बात पर है कि एनडीए अपने सीट बंटवारे का फॉर्मूला कब और कैसे घोषित करता है — क्योंकि इसका सीधा असर बिहार के राजनीतिक समीकरण पर पड़ेगा।