जुबिली स्पेशल डेस्क
नेपाल में ‘Gen-Z’ विरोध प्रदर्शनों को लेकर हालात लगातार उथल-पुथल भरे बने हुए हैं। 8 सितंबर 2025 को प्रदर्शन के पहले ही दिन सुरक्षा बलों की फायरिंग में 19 लोगों की मौत हो गई थी। अब पूर्व प्रधानमंत्री केपी ओली ने बड़ा दावा करते हुए कहा है कि न तो पुलिस के पास ऑटोमैटिक हथियार थे और न ही उनकी सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का आदेश दिया था।
जांच की मांग
ओली ने शुक्रवार (19 सितंबर 2025) को कहा कि प्रदर्शनकारियों पर स्वचालित हथियारों से हुई फायरिंग की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। उनका कहना है कि युवाओं की मौत सीधे पुलिस की कार्रवाई से नहीं, बल्कि हिंसा फैलाने वाले षड्यंत्रकारियों के कारण हुई।
72 लोगों की मौत, कई स्थानों पर आगजनी
नेपाल पुलिस के मुताबिक, अब तक ‘Gen-Z’ विरोध प्रदर्शनों में 72 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। मृतकों में वे लोग भी शामिल हैं जो भीड़ की ओर से जलाए गए भाटभटेनी सुपरमार्केट में जिंदा फंस गए थे।
हिंसक प्रदर्शनों के दौरान सिंह दरबार (मुख्य प्रशासनिक केंद्र), संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, अन्य न्यायालय परिसरों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और राजनीतिक दलों के दफ्तरों को आग के हवाले किया गया।
पूर्व प्रधानमंत्रियों के घर भी निशाने पर
भक्तपुर के बालकोट इलाके में स्थित ओली का घर भी आगजनी की चपेट में आ गया। यही नहीं, पूर्व प्रधानमंत्रियों शेर बहादुर देउबा, पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ और झालनाथ खनल के घरों को भी प्रदर्शनकारियों ने नुकसान पहुंचाया।
हिंसा बढ़ने के बाद ओली सेना की सुरक्षा में आ गए थे, लेकिन बाद में उन्होंने सुरक्षा घेरे को छोड़ दिया और काठमांडू से लगभग 12 किलोमीटर दूर भक्तपुर के गुंडू इलाके में एक किराए के मकान में रहने लगे।
आलोचना और चुनाव की तैयारी
ओली पर आरोप है कि उनके नेतृत्व में नेपाल लगातार राजनीतिक अस्थिरता और भ्रष्टाचार की ओर बढ़ा। आलोचकों का कहना है कि उन्होंने जनता के सामने देश को समृद्धि की राह पर दिखाने की कोशिश की, लेकिन हकीकत में सरकार घोटालों और अव्यवस्था से घिरी रही।
ओली के इस्तीफे के बाद नेपाल में पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की की अगुवाई में अंतरिम सरकार का गठन किया गया है। इस अंतरिम सरकार को छह महीने के भीतर चुनाव कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। प्रतिनिधि सभा का चुनाव 5 मार्च 2026 को प्रस्तावित है।