जुबिली स्पेशल डेस्क
महाराष्ट्र की सियासत में मराठा आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है। उपमुख्यमंत्री अजित पवार खेमे के एनसीपी नेता और राज्य के मंत्री छगन भुजबल बुधवार (3 सितंबर) को कैबिनेट मीटिंग शुरू होने से पहले ही गुस्से में बाहर निकल गए।
सूत्रों का कहना है कि भुजबल इस मसले पर बेहद नाराज हैं और सीधे बांद्रा स्थित MET एजुकेशन इंस्टीट्यूट (जहाँ वे ट्रस्टी हैं) के लिए रवाना हो गए।
इससे एक दिन पहले मंगलवार को उन्होंने सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर मराठा समाज को आरक्षण देने के लिए ओबीसी समुदायों के मौजूदा कोटे में कोई छेड़छाड़ की गई तो इसका जोरदार विरोध होगा।
भुजबल ने सोमवार को ओबीसी समुदाय के दिग्गज नेताओं के साथ बैठक कर आरक्षण बचाने की रणनीति पर चर्चा भी की थी।
वरिष्ठ एनसीपी नेता ने मराठा समाज को ओबीसी दर्जा दिए जाने का विरोध करते हुए कहा, “महाराष्ट्र में 374 समुदायों के लिए सिर्फ 17% आरक्षण है। वहीं EWS (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) के कोटे में शामिल लोगों में 8% पहले से ही मराठा समाज से हैं। ऐसे में ओबीसी आरक्षण से छेड़छाड़ अस्वीकार्य है।”
उन्होंने मराठा आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पर भी सीधा हमला बोला। भुजबल ने कहा,
“जरांगे का आंदोलन अपनी दिशा खो चुका है। यह कहना कि मराठा और कुनबी एक ही हैं, सरासर मूर्खता है। हाईकोर्ट भी ऐसा ही कह चुका है।”