जुबिली स्पेशल डेस्क
तियानजिन (चीन)। शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को बड़ा झटका लगा।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जहां आपसी तालमेल और गहरी बातचीत करते नजर आए, वहीं भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पुतिन के साथ गर्मजोशी से गले मिलकर चर्चा की।
इस दौरान तीनों नेताओं (मोदी, पुतिन और जिनपिंग) के बीच मुस्कुराते हुए बातचीत हुई, लेकिन शहबाज शरीफ बिल्कुल हाशिये पर खड़े रहे और उन्हें पूरी तरह से नज़रअंदाज कर दिया गया।
दरअसल, ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह पहली बार था जब पीएम मोदी और शहबाज शरीफ आमने-सामने आए। बावजूद इसके, प्रधानमंत्री मोदी ने शरीफ से दूरी बनाए रखी और किसी तरह की वार्ता या औपचारिक अभिवादन तक नहीं किया। यह नजारा पाकिस्तान की कूटनीतिक बेइज्जती के रूप में देखा जा रहा है।
मोदी–पुतिन की अहम मुलाकात
पूर्ण अधिवेशन से पहले पीएम मोदी और पुतिन की मुलाकात हुई। दोनों नेताओं ने मंच की ओर बढ़ते हुए दो मिनट तक निजी बातचीत की। यह मुलाकात उनकी द्विपक्षीय बैठक से पहले हुई थी, जिसमें क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर गहन चर्चा की जानी है।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी ने शिखर सम्मेलन के पूर्ण अधिवेशन को संबोधित किया और एससीओ ढांचे के तहत क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने पर भारत की प्राथमिकताएं साझा कीं। इसके बाद उनकी पुतिन के साथ द्विपक्षीय वार्ता हुई और फिर वे भारत लौट आए।
#WATCH | Prime Minister Narendra Modi, Chinese President Xi Jinping, Russian President Vladimir Putin, and other Heads of States/Heads of Governments pose for a group photograph at the Shanghai Cooperation Council (SCO) Summit in Tianjin, China.
(Source: DD News) pic.twitter.com/UftzXy6g3K
— ANI (@ANI) September 1, 2025
मोदी–जिनपिंग ने संबंधों पर दिया जोर
इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी बातचीत की। दोनों नेताओं ने पिछली ब्रिक्स शिखर बैठक के बाद से द्विपक्षीय संबंधों में आई सकारात्मक प्रगति को रेखांकित किया। दोनों ने दोहराया कि भारत और चीन प्रतिद्वंद्वी नहीं बल्कि विकास भागीदार हैं और मतभेदों को विवाद में नहीं बदलना चाहिए।
दोनों नेताओं ने आपसी सम्मान और संवेदनशीलता के आधार पर स्थिर संबंध और सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत–चीन सहयोग न सिर्फ दोनों देशों के लिए बल्कि बहुध्रुवीय एशिया और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था के लिए भी आवश्यक है।