जुबिली स्पेशल डेस्क
बिहार विधानसभा चुनाव में अभी तीन महीने बाकी हैं। कांग्रेस सत्ता की सीधी दावेदार नहीं, बल्कि आरजेडी के साथ गठबंधन में जूनियर पार्टनर है। ऐसे में बड़ा सवाल है- राहुल गांधी ने वोटर अधिकार यात्रा की शुरुआत बिहार से ही क्यों की?
इसका जवाब चुनावी समीकरणों से ज्यादा तस्वीरों में छिपा है। रविवार को सासाराम से निकली इस यात्रा ने कांग्रेस की नई रणनीति और गठबंधन की राजनीति दोनों को साफ कर दिया।
तस्वीर नंबर-1: स्टीयरिंग पर तेजस्वी, हाथ हिलाते राहुल
रैली स्थल पर राहुल गांधी जिस गाड़ी से पहुंचे, उसकी ड्राइविंग सीट पर थे तेजस्वी यादव। राहुल हाथ हिला रहे थे और उनके साथ पहली कतार में खड़े थे— कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम और वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी। पीछे की लाइन में सीपीआईएमएल महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य और कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान।
यह तस्वीर साफ संदेश देती है— यात्रा के नायक राहुल हैं, लेकिन बिहार में कमान तेजस्वी के हाथों में है।
तस्वीर नंबर-2: कार की छत पर राहुल-तेजस्वी साथ
यात्रा की औपचारिक शुरुआत ओपन कार से हुई। इस बार केवल दो चेहरे— राहुल गांधी और तेजस्वी यादव। राहुल भीड़ का अभिवादन स्वीकार कर रहे थे और तेजस्वी उनके साथ खड़े थे। यह फोटो बताती है कि कांग्रेस के मंच पर राहुल मुख्य किरदार हैं, लेकिन तेजस्वी को बराबरी पर खड़ा करने का ‘लालू इफेक्ट’ भी साफ झलकता है।
कांग्रेस की बदली रणनीति
पहली तस्वीर ने यह भी साबित कर दिया कि कांग्रेस अब गठबंधन की राजनीति में खुद को लचीला खिलाड़ी बनाने की कोशिश कर रही है। राहुल ने स्टीयरिंग तेजस्वी को थमाकर दिखा दिया कि वह सहयोगियों के लिए ‘ड्राइविंग सीट छोड़ने’ को तैयार हैं।
कांग्रेस का मिशन बिहार
विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस इस यात्रा से बिहार में अपनी खोई जमीन तलाशना चाहती है। भले ही विधानसभा चुनाव में इसका फायदा तुरंत न मिले, लेकिन लंबे समय में पार्टी यहां अपनी अलग पहचान बनाने की कोशिश करेगी। याद दिला दें- 1980 के दशक तक बिहार कांग्रेस का सबसे मजबूत गढ़ था।
लालू की रणनीति
लालू प्रसाद यादव जानते हैं कि विपक्ष के इतने बड़े मंच से आरजेडी को बाहर रखना भारी भूल होती। इसलिए उन्होंने तेजस्वी को राहुल के साथ खड़ा कर कांग्रेस की यात्रा को समर्थन दिया। माना जा रहा है कि यात्रा के अधिकांश हिस्सों में तेजस्वी भी राहुल के साथ रहेंगे।
बिहार से निकली राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा सिर्फ एक राजनीतिक शो नहीं, बल्कि 2024 से आगे की रणनीति का हिस्सा है। तस्वीरें बता रही हैं— कांग्रेस अब ‘सोलो प्लेयर’ नहीं, बल्कि ‘टीम प्लेयर’ की भूमिका निभाने को तैयार है।