जुबिली स्पेशल डेस्क
विपक्षी INDIA ब्लॉक उपराष्ट्रपति चुनाव में डीएमके के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद तिरुची शिवा को उम्मीदवार बना सकता है। सूत्रों के अनुसार, दक्षिण भारत की सियासत को ध्यान में रखते हुए विपक्ष यह रणनीतिक दांव खेलने की तैयारी में है।
गौरतलब है कि एनडीए ने तमिलनाडु से आने वाले सी.पी. राधाकृष्णन को अपना उम्मीदवार बनाया है। ऐसे में अगर तिरुची शिवा का नाम घोषित होता है तो यह तय माना जा रहा है कि इस बार उपराष्ट्रपति पद दक्षिण भारत के खाते में जाएगा।
तिरुची शिवा कौन हैं?
डीएमके के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद। लंबे समय से पार्टी के महत्वपूर्ण रणनीतिकार। संसद में पार्टी की नीतियों और रुख को तय करने में बड़ी भूमिका। सोशल जस्टिस, फेडरल स्ट्रक्चर और स्टेट राइट्स जैसे मुद्दों पर सक्रिय आवाज़। राज्य और केंद्र, दोनों स्तर पर कई महत्वपूर्ण समितियों में अनुभव।
अगर इंडिया ब्लॉक उन्हें उम्मीदवार बनाता है तो यह साफ संदेश होगा कि विपक्ष तमिलनाडु और दक्षिण भारत की राजनीतिक ज़मीन को एनडीए के लिए खाली छोड़ने को तैयार नहीं है।
नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन को 9 सितंबर 2025 को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया है।
इस ऐलान के तुरंत बाद शिवसेना (UBT) सांसद संजय राउत ने उन्हें सार्वजनिक रूप से बधाई और शुभकामनाएँ दीं। राउत के इस कदम ने राजनीतिक हलकों में नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है।
संजय राउत का बयान
ANI से बातचीत में राउत ने कहा— “सी.पी. राधाकृष्णन का व्यक्तित्व बेहद अच्छा है। वे गैर-विवादास्पद नेता हैं और उनके पास व्यापक अनुभव है। मैं उन्हें शुभकामनाएँ देता हूँ।”उनके इस बयान से संकेत मिले हैं कि शिवसेना (UBT) विपक्षी INDIA गठबंधन की तुलना में NDA उम्मीदवार को लेकर अपेक्षाकृत नरम रुख अपना सकती है।
क्या उपराष्ट्रपति चुनाव में होगा ‘खेला’?
विपक्षी INDIA ब्लॉक की सहयोगी पार्टी DMK अब दुविधा में दिख रही है। एक ओर राधाकृष्णन का तमिल होना क्षेत्रीय भावनाओं को जोड़ता है, दूसरी ओर उनके खिलाफ खड़ा होना DMK के लिए राजनीतिक जोखिम भी हो सकता है।
अगर शिवसेना (UBT) और DMK जैसे दल NDA उम्मीदवार की ओर झुकते हैं, तो यह INDIA गठबंधन के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है।
INDIA ब्लॉक की अगली चाल
फिलहाल INDIA गठबंधन ने अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। सूत्रों के मुताबिक अगले कुछ दिनों में रणनीति तय की जाएगी। लेकिन जानकारों का मानना है कि राधाकृष्णन की उम्मीदवारी भाजपा और NDA का एक राजनीतिक मास्टरस्ट्रोक है, जो विपक्षी एकता की परीक्षा ले सकता है।