जुबिली स्पेशल डेस्क
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और रामपुर के कद्दावर मुस्लिम चेहरा माने जाने वाले आजम खान के लिए अगले कुछ दिन बेहद अहम साबित हो सकते हैं। रामपुर के चर्चित डूंगरपुर केस में 10 साल की सजा के खिलाफ दायर उनकी याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया।
क्या है पूरा मामला?
दिसंबर 2016 में रामपुर के डूंगरपुर इलाके में शिकायतकर्ता अबरार ने आरोप लगाया कि आजम खान, तत्कालीन सीओ आले हसन खान (रिटायर्ड) और ठेकेदार बरकत अली ने उनके घर में घुसकर मारपीट, तोड़फोड़ और जान से मारने की धमकी दी। आरोप यह भी था कि उनके मकान को पूरी तरह गिरा दिया गया।
अगस्त 2019 में अबरार ने थाना गंज में इस मामले की एफआईआर दर्ज कराई, जिसके बाद पुलिस जांच पूरी कर मामला एमपी-एमएलए विशेष कोर्ट में भेजा गया।
निचली अदालत का फैसला
30 मई 2024 को रामपुर एमपी-एमएलए कोर्ट ने इस मामले में आजम खान को 10 साल कैद और 20 हजार रुपये जुर्माना, जबकि बरकत अली को 7 साल कैद की सजा सुनाई। आजम खान इस समय जेल में हैं।
हाईकोर्ट में चुनौती
निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए आजम खान और बरकत अली दोनों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में क्रिमिनल अपील दायर की। गुरुवार को जस्टिस समीर जैन की सिंगल बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।
राजनीतिक पृष्ठभूमि
आजम खान उत्तर प्रदेश की सियासत में एक बड़ा नाम हैं और लंबे समय तक रामपुर से सांसद और विधायक रहे हैं। हाल के वर्षों में उनके खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें से कई में उन्हें सजा भी मिल चुकी है। यह केस भी उनके राजनीतिक भविष्य को प्रभावित कर सकता है।