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2006 मुंबई लोकल ट्रेन ब्लास्ट केस, 12 आरोपी 18 साल बाद बरी

जुबिली न्यूज डेस्क 

मुंबई | मुंबई की एक विशेष मकोका (MCOCA) अदालत ने 2006 के चर्चित लोकल ट्रेन धमाकों के मामले में गिरफ्तार किए गए 13 आरोपियों में से 12 को बड़ी राहत देते हुए सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है। अदालत का यह फैसला 18 साल पुराने एक ऐसे मामले में आया है, जिसने पूरे देश को हिला दिया था। इस हमले में 209 लोगों की मौत हुई थी और 700 से अधिक लोग घायल हुए थे।

 क्या था मामला?

11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में 7 सिलसिलेवार धमाके हुए थे। ये धमाके पीक ऑवर में हुए जब ट्रेनें यात्रियों से भरी हुई थीं। ये ब्लास्ट पश्चिम रेलवे के चर्चगेट से विरार तक चलने वाली ट्रेनों के पांच डब्बों में हुए थे। धमाकों में आरडीएक्स और प्रेशर कुकर बमों का इस्तेमाल किया गया था।

 गिरफ्तारियां और केस की सुनवाई:

धमाकों के बाद महाराष्ट्र एटीएस (ATS) ने कार्रवाई करते हुए 13 लोगों को आरोपी बनाया था। इन पर मकोका, आईपीसी, विस्फोटक अधिनियम, UAPA सहित कई गंभीर धाराओं में केस चला। इनमें से एक आरोपी को पहले ही दोषी ठहराया जा चुका था।

2015 में इस केस में 12 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। हालांकि, इनमें से 12 आरोपियों ने बॉम्बे हाईकोर्ट में अपील की और अब स्पेशल कोर्ट ने जांच में खामियां मानते हुए उन्हें बरी कर दिया।

 कोर्ट ने क्या कहा?

विशेष मकोका न्यायाधीश ने कहा कि—“मामले में सबूत पर्याप्त नहीं हैं। जांच एजेंसियां यह साबित करने में असफल रहीं कि ये आरोपी वास्तव में धमाकों में शामिल थे। बयान, कबूलनामे और अन्य सबूत पर्याप्त कानूनी मानकों पर खरे नहीं उतरते। इसलिए न्यायहित में इन्हें बरी किया जा रहा है।”

 परिजनों की प्रतिक्रिया:

धमाकों में जान गंवाने वालों के परिजनों ने इस फैसले पर निराशा जताई है। उनका कहना है कि 18 साल बाद भी न्याय नहीं मिला, जबकि सैकड़ों परिवार आज भी उस दर्द को झेल रहे हैं।

 जांच एजेंसियों पर सवाल:

कोर्ट के फैसले के बाद जांच एजेंसियों पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या जांच ठीक से नहीं हुई? क्या असली गुनहगार अभी भी आज़ाद हैं?

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आगे की प्रक्रिया:

महाराष्ट्र सरकार और अभियोजन पक्ष इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं बरी किए गए आरोपी और उनके परिवारों ने अदालत का धन्यवाद किया और कहा कि उन्हें झूठा फंसाया गया था, अब जाकर उन्हें न्याय मिला।

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