जुबिली न्यूज डेस्क
गाजियाबाद — गाजियाबाद के राजेंद्र नगर स्थित बाबू जगजीवन राम कॉलोनी के 172 घरों को गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) ने डिमोलिशन नोटिस जारी किया है। जीडीए का दावा है कि कॉलोनी 50 साल पहले एक पार्क की 2,864 वर्ग मीटर जमीन पर अवैध रूप से बसाई गई थी। निवासियों को 15 दिन में घर खाली करने का अल्टीमेटम दिया गया है। ऐसा नहीं करने पर, जीडीए तोड़फोड़ अभियान चलाएगा।
मामला कैसे शुरू हुआ?
वर्ष 2023 में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें पार्क की जमीन पर अवैध निर्माण का मामला उठाया गया था। इस याचिका से जुड़े मूल याचिकाकर्ता सुशील राघव का कहना है कि उन्होंने औद्योगिक यूनिट द्वारा सड़क निर्माण की बात की थी, न कि इस कॉलोनी की।
हालांकि, बाद में GDA ने अपना सर्वे कराया, जिसमें पाया गया कि बाबू जगजीवन राम कॉलोनी भी पार्क की जमीन पर बनी हुई है। इसके आधार पर अब डिमोलिशन की तैयारी की जा रही है।
13 जुलाई को होगी समीक्षा बैठक
सरकारी वकील ने NGT को बताया कि इस मुद्दे पर 13 जुलाई को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक होगी। इसके बाद तीन सप्ताह में कार्रवाई रिपोर्ट जमा करनी होगी। मामले की अगली सुनवाई 29 अगस्त को निर्धारित की गई है। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि जीडीए इससे पहले तोड़फोड़ शुरू करेगा या नहीं।
कॉलोनीवासियों में आक्रोश और चिंता
डिमोलिशन नोटिस मिलने के बाद कॉलोनी के निवासी बेहद परेशान और नाराज हैं। एक निवासी रतन ने कहा:”हमारा परिवार 50 साल से यहां रह रहा है, अब हमें बताया जा रहा है कि हमारे घर अवैध हैं। अगर ये अवैध थे, तो उस समय अधिकारियों ने इन्हें पास कैसे किया? क्या अब सिर्फ हमें सजा दी जाएगी?”
रहवासियों का सवाल है कि अगर जमीन अवैध थी, तो इतने वर्षों तक प्रशासन चुप क्यों रहा? उन्होंने जमीन खरीदते समय रजिस्ट्री कराई थी, टैक्स भरे हैं — ऐसे में अब उन्हें कहां जाएं?
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क्या है कानूनी स्थिति?
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1962 में एक निजी डेवलपर ने इस कॉलोनी का लेआउट GDA से पास करवाया था।
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प्लान के अनुसार 12,040 वर्ग मीटर जमीन को पार्क के रूप में चिह्नित किया गया था।
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अब जीडीए का कहना है कि कॉलोनी का हिस्सा उस पार्क जमीन पर बना है, जिसे अवैध माना जा रहा है।
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याचिकाकर्ता राघव का कहना है कि उन्होंने अपने आवेदन में कॉलोनी का कोई जिक्र नहीं किया था।