जुबिली स्पेशल डेस्क
रूस-यूक्रेन युद्ध अपने तीसरे साल में प्रवेश कर चुका है, और अब इस संघर्ष में एक नया मोड़ आ गया है। अमेरिका ने अचानक यूक्रेन को दी जा रही हथियारों की सप्लाई पर रोक लगा दी है, जिसके बाद रूस में इस फैसले का स्वागत किया गया है। अमेरिका के रक्षा मंत्रालय ने यह निर्णय अपनी हथियार भंडारण स्थिति को देखते हुए लिया है।
रक्षा विभाग के अनुसार, अमेरिका की प्राथमिकता इस वक्त अपने रक्षा स्टॉक की समीक्षा है, जिसके चलते फिलहाल यूक्रेन को पेट्रियट मिसाइल, स्टिंगर सिस्टम, हेलफायर मिसाइल और F-16 से लॉन्च की जाने वाली AIM मिसाइलें नहीं भेजी जाएंगी। इस फैसले की पुष्टि वाइट हाउस की डिप्टी प्रेस सेक्रेटरी एना केली ने की और कहा, “हमारी सेना की ताकत बरकरार है, अगर किसी को शक हो तो ईरान से पूछ लें।”
रूस ने फैसले को सराहा, कहा- युद्ध खत्म होने की तरफ बढ़ रहा
अमेरिका के इस कदम से रूस ने राहत की सांस ली है। क्रेमलिन प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा, “यूक्रेन को जितने कम हथियार मिलेंगे, युद्ध उतनी जल्दी समाप्त होगा।” रूस के इस प्रतिक्रिया से साफ है कि उसे इस रोक से रणनीतिक बढ़त की उम्मीद है।
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जहां एक ओर अमेरिका से मिलने वाले हथियारों की सप्लाई पर ब्रेक लगा है, वहीं उत्तर कोरिया द्वारा रूस को 30,000 और सैनिक भेजे जाने की खबर ने कीव की चिंता और बढ़ा दी है। CNN की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ये सैनिक जल्द ही रूसी कब्जे वाले क्षेत्रों में सैन्य अभियानों में भाग लेंगे।
यह संख्या पिछले वर्ष भेजे गए उत्तर कोरियाई सैनिकों से तीन गुना अधिक है। इससे यह संकेत मिलता है कि रूस अपने सैन्य मोर्चे को और मजबूत करने की तैयारी में है।
जेलेंस्की नाराज़, अमेरिका को भेजा सख्त संदेश
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने अमेरिका के इस रुख पर नाराज़गी जताई है। उन्होंने कहा, “हमें तत्काल एयर डिफेंस की ज़रूरत है। हम अमेरिका के साथ हर स्तर पर बातचीत कर रहे हैं।” कीव स्थित अमेरिकी दूत को तलब कर यूक्रेनी विदेश मंत्रालय ने चेतावनी दी कि हथियारों में देरी से रूस को बढ़ावा मिलेगा और इससे जमीनी हालात और बिगड़ सकते हैं।
नाटो के नए प्रमुख मार्क रूटे ने भी अमेरिका की स्थिति को समझने की बात कही, लेकिन स्पष्ट किया कि “यूक्रेन को अभी पूर्ण समर्थन की ज़रूरत है।” उन्होंने दोहराया कि गठबंधन देश अपने-अपने स्तर पर यूक्रेन की मदद जारी रखेंगे।