Sunday - 29 June 2025 - 10:13 AM

ये गाजा का Video है : बच्चे भूख मिटाने के लिए रेत तक खाने को मजबूर हैं

जुबिली स्पेशल डेस्क

गाजा/यरुशलम। इजरायल और हमास के बीच चल रहे लंबे संघर्ष के बीच अब एक नई और भयावह तस्वीर सामने आ रही है।

गाजा पट्टी में जारी मानवीय संकट के बीच ऐसी रिपोर्टें सामने आई हैं, जो इजरायल की राहत नीति पर बड़े सवाल खड़े करती हैं। दावा किया गया है कि राहत वितरण केंद्रों पर न केवल भीड़ नियंत्रित करने के नाम पर गोलियां चलाई जा रही हैं, बल्कि इन केंद्रों को “रणनीतिक लक्ष्य” के रूप में ट्रीट किया जा रहा है।

राहत केंद्र या रणक्षेत्र?

इजरायली अखबार हारेत्ज़ की रिपोर्ट के अनुसार, सेना (IDF) को ऐसे निर्देश दिए गए थे कि वे भोजन वितरण स्थलों पर एकत्र भीड़ को नियंत्रित करने के लिए गोलाबारी करें। रिपोर्ट में दावा किया गया कि मशीनगनों, टैंकों और मोर्टार तक का इस्तेमाल किया गया, जिससे 549 लोगों की मौत और 4000 से ज्यादा घायल हो चुके हैं।

इनमें से बड़ी संख्या उन नागरिकों की है जो भोजन, पानी और जीवन की न्यूनतम जरूरतों के लिए इन राहत कैंपों पर निर्भर थे।

बच्चों की भूख बन रही मौत का कारण

गाजा में जारी संकट की भयावहता इस हद तक बढ़ चुकी है कि सोशल मीडिया पर एक वायरल वीडियो में एक 10 साल का बच्चा जमीन पर गिरे आटे के कण बटोरता नजर आता है। वीडियो में वह कहता है – “मैंने सुबह से कुछ नहीं खाया, ये आटा मेरे लिए एक आशीर्वाद है।”

कुछ रिपोर्टों में दावा किया गया है कि बच्चे भूख मिटाने के लिए रेत तक खाने को मजबूर हैं, क्योंकि भोजन की आपूर्ति लगभग बंद हो चुकी है।

GHF फाउंडेशन और साजिश के आरोप

हारेत्ज़ की रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि GHF नामक एक विदेशी फाउंडेशन गाजा में सहायता कार्यक्रमों को संचालित कर रहा है, जो कथित रूप से अमेरिकी और इजरायली उच्च नेतृत्व के करीबी माने जाते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, सहायता वितरण केवल दिन में 1 घंटे के लिए होता है, जिससे राहत कम और भीड़ अधिक बनती है — और इसके कारण हिंसा की संभावना भी कई गुना बढ़ जाती है।

सीजफायर से पहले का ‘आखिरी वार’?

इस बीच, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयान में यह इशारा किया गया कि कुछ ही हफ्तों में गाजा में सीजफायर संभव हो सकता है। लेकिन इसके विपरीत, इजरायल ने हाल के दिनों में बमबारी और हवाई हमलों को तेज कर दिया है।

खान यूनिस, नासिर अस्पताल और कई शरणार्थी कैंपों पर किए गए हमलों में दर्जनों नागरिकों की जान जा चुकी है। विश्लेषकों का मानना है कि इजरायल युद्धविराम से पहले गाजा पर निर्णायक दबाव बनाना चाहता है।

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