जुबिली स्पेशल डेस्क
ईरान और इजरायल के बीच भले ही औपचारिक युद्धविराम की घोषणा हो चुकी हो, लेकिन दोनों देशों के बीच तनाव लगातार बढ़ता ही जा रहा है।
ताजा घटनाक्रम में ईरान ने बुधवार सुबह तीन नागरिकों को इजरायल की खुफिया एजेंसी के लिए जासूसी करने और हत्या की साजिश में संलिप्त पाए जाने पर फांसी की सजा दे दी।
ईरानी न्याय मंत्रालय के अनुसार, इदरीस अली, आज़ाद शोजाई और रसूल अहमद रसूल पर आरोप था कि उन्होंने ऐसे उपकरणों को देश में लाने का प्रयास किया, जिनका इस्तेमाल हत्या के लिए किया जाना था। ईरान के उत्तर-पश्चिमी शहर उरमिया में इन सभी को आज सुबह सजा के तौर पर फांसी दी गई। राज्य-समर्थित मीडिया ने इन तीनों की तस्वीरें भी जारी की हैं, जिसमें वे जेल की नीली वर्दी में नजर आ रहे हैं।
12 दिन की जंग के बाद सख्त कार्रवाई
यह कार्रवाई उस चेतावनी के तहत की गई है, जो ईरानी सरकार ने 13 जून 2025 को इजरायल के साथ छिड़े टकराव की शुरुआत में दी थी। उस समय ईरान ने कहा था कि जो भी विदेशी एजेंसियों, विशेषकर इजरायल के लिए काम करता पाया गया, उसके खिलाफ सख्त कानूनी कदम उठाए जाएंगे।
सरकारी एजेंसी ‘नूर न्यूज’ की रिपोर्ट के मुताबिक, इस संघर्ष के दौरान अब तक लगभग 700 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इन सभी पर इजरायल से जुड़ी गतिविधियों में शामिल होने, सैन्य गोपनीय सूचनाएं साझा करने और रणनीतिक ठिकानों को निशाना बनाने में सहयोग देने जैसे गंभीर आरोप हैं।
मोसाद से जुड़े होने का संदेह
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, गिरफ्तार किए गए लोगों में कई ऐसे हैं जिन पर इजरायल की खुफिया एजेंसी ‘मोसाद’ के संपर्क में होने का शक है। ईरान का दावा है कि पूछताछ के दौरान इन लोगों से महत्वपूर्ण जानकारियाँ सामने आई हैं और कुछ मामलों में जल्द ही अदालत फैसला सुना सकती है।
ईरान पहले भी इस तरह की कार्रवाइयों को अंजाम देता रहा है। देश की नीति हमेशा से ही विदेशी हस्तक्षेप, विशेषकर इजरायली खुफिया नेटवर्क के प्रति “जीरो टॉलरेंस” की रही है।
हालात अब भी संवेदनशील
युद्धविराम के बावजूद दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है। एक ओर जहां इजरायल अभी तक इस पूरे घटनाक्रम पर आधिकारिक प्रतिक्रिया देने से बच रहा है, वहीं ईरान लगातार यह संदेश दे रहा है कि वह अपनी संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगा।
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