जुबिली न्यूज डेस्क
पाकिस्तान सेना का मेजर मोइज अब्बास शाह, जिसने 2019 में भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान को हिरासत में लेने का दावा किया था, अब खुद तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) की गोली का शिकार हो गया है।
दक्षिण वजीरिस्तान के सरगोधा क्षेत्र में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान पाक सेना के स्पेशल सर्विस ग्रुप (SSG) के इस अधिकारी और एक लांस नायक जिब्रानुल्लाह की मौत हो गई।
पाकिस्तानी सेना पर आतंकियों का पलटवार
पाक सेना की ओर से जारी बयान में कहा गया कि मेजर मोइज अब्बास शाह (उम्र 37 वर्ष), चकवाल जिले का निवासी था और उसने आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन का नेतृत्व किया। लेकिन उसी ऑपरेशन में वह गोली लगने से मारा गया।
मेजर शाह की मौत, पाकिस्तान के उन नीतियों पर सवाल खड़े करती है जिसमें आतंकियों को पहले संरक्षण और प्रशिक्षण देकर बाद में उनके द्वारा “बैकफायर” झेलना पड़ता है।
TTP की शुरुआत: पाकिस्तान की आतंकी नीति का परिणाम
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2007 में लाल मस्जिद पर सैन्य कार्रवाई के विरोध में बना तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP)।
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इस संगठन के संस्थापक कारी हुसैन महसूद ने जैश-ए-मोहम्मद के साथ मिलकर सुसाइड बॉम्बर तैयार किए।
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कई कमांडर, जैसे अब्दुल जब्बार और मोहम्मद अदनान रशीद, पहले जैश के ट्रेनिंग कैंप से निकले, फिर TTP से जुड़े।
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ISI ने इनका इस्तेमाल भारत और शिया समुदाय के खिलाफ किया, लेकिन अब यही आतंकी पाक सेना को निशाना बना रहे हैं।
ISI की रणनीति उलटी पड़ी
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TTP के मौजूदा प्रमुख नूर वली महसूद को 90 के दशक में जैश-ए-मोहम्मद के बन्नू कैंप में ट्रेनिंग दी गई थी।
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लश्कर-ए-झांगवी जैसे संगठनों के कट्टर आतंकी भी अब TTP में शामिल हो चुके हैं।
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इन सबका प्रशिक्षण ISI की देखरेख में हुआ था, लेकिन अब वही आतंकवादी संगठन पाकिस्तान के खिलाफ जिहाद का ऐलान कर चुके हैं।
पाकिस्तानी सेना को भारी नुकसान
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2025 के पहले 6 महीनों में ही TTP हमलों में 116 सैनिक मारे गए हैं।
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2024 में, यही संख्या 1,284 रही, जिसमें सेना और पुलिस के जवान शामिल हैं।
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सबक जो पाकिस्तान आज भी नहीं सीख रहा
मेजर मोइज अब्बास शाह की मौत सिर्फ एक सैनिक की शहादत नहीं, बल्कि पाकिस्तान की आतंकी पोषण नीति की विफलता का सबूत है। जिस देश ने दशकों तक आतंकियों को “रणनीतिक संपत्ति” समझा, उसी के हाथों अब उसके जवान मारे जा रहे हैं।