जुबिली न्यूज डेस्क
महाराष्ट्र के अहिल्यानगर जिले में स्थित प्रसिद्ध धार्मिक स्थल श्री क्षेत्र शनि शिंगणापुर देवस्थान ट्रस्ट ने शुक्रवार को बड़ा प्रशासनिक निर्णय लिया है। ट्रस्ट ने अनुशासनहीनता और अनियमितताओं का हवाला देते हुए कुल 167 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है। इन कर्मचारियों में 114 मुस्लिम समुदाय से आने वाले कर्मचारी भी शामिल हैं, जिसके चलते यह फैसला विवादों के घेरे में आ गया है।
क्यों हुआ फैसला?
मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि बर्खास्तगी का यह निर्णय किसी धर्म या जाति के आधार पर नहीं, बल्कि प्रशासनिक कारणों और कर्मचारी अनुशासन के उल्लंघन पर आधारित है। ट्रस्ट का कहना है कि जिन कर्मचारियों को हटाया गया है, वे पिछले कई महीनों से ड्यूटी पर नहीं आ रहे थे, कई बार चेतावनी के बाद भी वे काम पर लौटे नहीं, और जब ट्रस्ट ने समीक्षा की तो पाया कि अधिकांश कर्मचारियों ने अनुशासन और सेवा शर्तों का पालन नहीं किया।
बढ़ा विवाद, हिंदू संगठनों ने किया विरोध
हाल के दिनों में हिंदू संगठनों ने मंदिर ट्रस्ट पर मुस्लिम कर्मचारियों को हटाने का दबाव बनाया था। संगठनों का तर्क था कि धार्मिक स्थल पर गैर-हिंदू कर्मचारियों की नियुक्ति उचित नहीं है। संगठन ने 14 जून को विरोध रैली की चेतावनी दी थी, जिसके पहले ही यह कार्रवाई हुई।
हालांकि ट्रस्ट ने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई किसी समुदाय विशेष के खिलाफ नहीं है, बल्कि कर्मचारी आचरण की आंतरिक जांच के बाद यह फैसला लिया गया।
प्रशासन का पक्ष
शनि शिंगणापुर देवस्थान ट्रस्ट ने यह भी जानकारी दी कि 114 मुस्लिम कर्मचारी, जो हटाए गए हैं, वे मंदिर परिसर में नहीं, बल्कि कृषि विभाग, अपशिष्ट प्रबंधन और शिक्षा विभाग जैसे सहायक क्षेत्रों में कार्यरत थे। ट्रस्ट के अनुसार, 99 कर्मचारी पिछले 5 महीनों से काम पर नहीं आए, जबकि शेष के खिलाफ भी विभिन्न स्तरों की अनियमितताओं की शिकायतें थीं।
क्या बोले ट्रस्ट सदस्य?
ट्रस्ट सदस्यों ने कहा:“हमारा निर्णय पूरी तरह से प्रोफेशनल मूल्यांकन पर आधारित है। यहां धर्म के आधार पर नहीं, बल्कि काम के प्रदर्शन और अनुशासन को देखा गया है।”
ये भी पढ़ें-“UP के इस गांव के 40 परिवारों ने किया पलायन का ऐलान”, जानें वजह
इस फैसले ने शनि शिंगणापुर जैसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थल को एक बार फिर राष्ट्रीय सुर्खियों में ला दिया है। जहां एक तरफ ट्रस्ट के फैसले को प्रशासनिक मजबूरी बताया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर धार्मिक असहिष्णुता और सांप्रदायिक दबाव की भी चर्चा हो रही है।यदि स्थिति आगे और बिगड़ती है, तो यह मामला राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर बड़ी बहस का कारण बन सकता है।